Friday, July 8, 2016

फिर से आईआईटी फैक्ट्री बनने के राह पर राजधानी पटना

पिछले कुछ रिपोर्टों के आधार पर ऐसा लग रहा है कि पटना फिर से IIT फैक्ट्री बनने की राह पर अग्रसर है. सन् 90 के दशक में भी पटना, जमशेदपुर, बोकारो इत्यादि जगहों से IIT के लिए खूब चयन होता था लेकिन बिहार की बिगड़ती कानून व्यवस्था ने वो संभावना लील ली. मैं उस जमाने में पटना में था जब प्रो. एस लाल को पटना साईंस कॉलेज के सामने गोली मार दी गई और के.सी सिन्हा सुरक्षा गार्ड रखने लगे थे. एक बनते कोचिंग हब के रूप में पटना का पतन हो रहा था और कोटा का उदय हो रहा था.



कोटा में जेके सिंथेटिक्स में काम करनेवाले वी. के बंसल ने अपनी बीमारी के बाद कोचिंग शुरू कर दी. कुछ बेरोजगार इंजीनियर भी उसमें शामिल हो गए. एक गर्म इलाके में एक उंघता-उनींदा सा शहर कोटा परवान चढ़ता गया. क्योंकि राजस्थान में कानून-व्यवस्था अच्छी थी और शहर को ठीकठाक बिजली मिल जाती थी. लेकिन हमारे पटना में ऐसा होना बंद होने लगा था. बाद में पटना के कई शिक्षकों ने कोटा में जाकर नौकरी कर ली. बिहार के गांव-गांव से बच्चे कोटा में जाकर किरायेदार बन गए. ऐसा पिछले 20 साल में हुआ. लेकिन बिहार की वो ऊर्जा, वो जीजिविषा खत्म नहीं हुई हैं. जमीन के अंदर उसकी जड़ अभी भी बरकरार है, बिहारियों में वो क्षमता है बिहार के तमाम मेंटर्स अगर जो दूसरे राज्यों में कोचिंग चला कर अच्छा परिणाम दे रहे हैं अगर वो बिहार की तरफ रुख कर जाये तो इसमें कोई संका नही है की बिहार देश का सबसे बड़ा आईआईटी का फैक्ट्री बन जायेगा।
बिहार के एक-एक गांवों से पढ़कर 10-10 बच्चे आईआईटी जा रहे हैं जो की बिहार के लिए कभी आश्चर्य का विषय नही रहा। बिहार की मिट्टी इतनी उपजाऊ है ही इसमें किंतु-परन्तु की कोई बात नही है।

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