Monday, July 4, 2016

बिहार की बेटी किरण के इस काम के लिए राज्य ही नही पूरा देश कर रहा है सलाम

बिहार की बेटी किरण ऐसा काम की है की राज्य ही नही बल्कि पुरे देश के लोग इसे शाबासी दे रहे हैं।
आम दुल्हन अपनी साज-सज्जा, वेश-भूषा और भावी पति की कल्पना में खोयी रहती है. लेकिन ये इस दिन अपने गाँव और पर्यावरण की बेहतरी के लिए अपनी शादी के दिन यानि सात जुलाई को हाथ में फावड़ा-कुदाल लिए निकल पड़ेगी और गाँव के सड़क व नदी के किनारे खाली पड़े जगहों को पौधों व हरिहाली से पाट देगी.किरण अपने शादी के दिन भी हाथों में मेहंदी की जगह वह अपने गाँव को हरा भरा बनाकर ससुराल जाना चाहती है. हमारे यहाँ तो शादी के कुछ दिन पहले से महिलाओ को घर से निकलने की ज्यादा इजाजत नहीं होती है लेकिन किरण ने बिहार ही नहीं पुरे देश में एक मिशाल कायम करना चाहती है.



दोपहर से पहले सात सौ पौधे लगाकर ही वह वापस अपने बाबुल के घर लौटकर दुल्हन बनेगी. अपने गाँव को हरा-भरा करने के बाद अपने इंजिनियर पति से शादी रचा फिर बाबुल के गाँव को अलविदा कहेगी. यह नेक ईरादा है तुरकौलिया प्रखंड के मझार गाँव निवासी जितेन्द्र सिंह की बड़ी सुपुत्री किरण का.
नाते-रिश्तेदार के अलावा वन विभाग व स्वास्थ्य महकमा के अधिकारी भी बनेंगे. इस कवायद के पीछे किरण की यह सोंच है कि पर्यावरण के प्रति पूरे गांव-समाज व नाते रिश्तेदारों को जागरूक बनाया जाए. इसके लिए उसने वन विभाग को आवेदन देकर पौधा उपलब्ध कराने का आग्रह किया है. जिसे स्वीकृत करते हुए विभाग ने शादी के दो दिन पहले ही पिपराकोठी स्थित नर्सरी से पौधे उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है.



आइआइएमसी से मासकॉम कर देश के कई मिडिया संस्थानों में काम कर चुकी किरण वर्तमान में बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति की मीडिया कॉर्डिनेटर है. किरण का मनना है कि इन पौधों ने उन्हें बहुत कुछ दिया है. राष्ट्रिय स्तर की ख्याति के आलावा इन पौधों की वजह से ही उसे राष्ट्रपति पुरस्कार सहित कई सम्मान मिले है. ऐसे में नईहर छूटने से पहले इन पौधों व अपने गाँव के प्रति कृतज्ञता भी प्रकट करना चाहती है.
दरअसल किरण का बचपन से ही पेड़-पौधों व पर्यावरण से खासा लगाव रहा है. उनके मित्र व युवा समाजसेवी विनय कुमार उपाध्याय बताते हैं कि हाईस्कूल में पढाई के दरम्यान ही किरण तेजी से सूख रहे शीशम के पेड़ को बचाने के लिए दवा का ईजाद कर चुकी है. इस दवा से उसने पहले अपने गांव व बाद में इलाके में हजारों शीशम के पेड़ को सूखने से बचाया है. इस उपलब्धि पर वर्ष 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम व राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक डॉ. (प्रो.) यशपाल ने सिक्किम में उसे सम्मानित किया था. वर्ष 2007 में बिहार के तत्कालीन राज्यपाल डॉ. बूटा सिंह ने भी बिहार विज्ञान कांग्रेस में किरण को पुरस्कार से नवाजा था. वर्ष 2011 में अभिनेता अभिषेक बच्चन ने दिल्ली के एक कार्यक्रम में नेशनल अवार्ड देकर चंपारण एवं बिहार की इस होनहार बेटी को सम्मानित किया था.

किरण ने बताया कि उसकी शादी मिजोरम के एनआईटी में सहायक प्रोफेसर के पद पर कार्यरत रमेश कुमार से हो रही है. उनका पूरा परिवार फ़िलहाल पटना में रहता है. वह भी पटना में ही स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत है. लिहाजा फिलहाल वह ससुराल पटना में ही रहेगी.

बहरहाल किरण का यह प्रयास इलाके में चर्चा विषय बना हुआ है व उसके इस प्रयास की इलाके में खासी सराहना हो रही है.अपने पिया के गांव जाने की तैयारी के बीच पर्यावरण को बचाने के लिए दुल्हन बनने जा रही किरण ने जो फैसला लिया है,उससे सरकार,समाज और गैर सरकारी संगठनों को सीख लेने की जरुरत है.

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