Tuesday, July 5, 2016

एक हाथ से वंचित होने के बाद भी बिहार के विवेक ने पाई आईआईटी में सफलता

स्वास्थ्य ठीक नहीं रहने के बावजूद कोटा आया और आईआईटी दिल्ली में एडमिशन पाया राजगीर का विवेक ...
बिहार का यह लाल जी शारीरिक रूप से पूर्ण स्वस्थ न रहने के बावजूद भी देश की सबसे बड़ी प्रतियोगित परीक्षा में सफलता प्राप्त करके दुनिया के सामने नई मिसाल पेश की है।
हौसले की उड़ान के आगे एवरेस्ट भी छोटा पड़ जाता है। जुनून हो तो
सारा जहां झुक जाता है। इसी तरह की जिद पूरी करते हुए आईआईटी
में एडमिशन पाया है एलन के छात्र विवेक कुमार ने। हाल ही में काउंसलिंग के प्रथम चरण के परिणाम में आईआईटी दिल्ली में विवेक को सिविल ब्रंाच मिली है। बिहार के राजगिर कस्बा निवासी विवेक का एक हाथ काम नहीं करता। स्वास्थ्य ठीक भी नहीं रहता। तमाम विपरित परिस्थितियों के बावजूद विवेक ने कोटा में रहकर एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट में पढ़ाई की और जेईई-एडवांस के रिजल्ट में काॅमन मेरिट लिस्ट में शारीरिक विकलांग कोटे में 82 तथा ओबीसी
पीडब्ल्यूडी कोटे में अखिल भारतीय स्तर पर 25वां स्थान प्राप्त किया। बड़ी बात इसीलिए भी है क्योंकि विवेक का इलाज करते हुए डाॅक्टरों ने भी हार मान ली और कह दिया कि इसका हाथ ठीक नहीं हो सकता, यदि आॅपरेशन करवाए तो शरीर के दूसरे अंगों में असर हो सकता है। इसके बाद विवेक ने पढ़ाई में ध्यान लगाया और खुद को
साबित करने की जिद पकड़ ली।


आज विवेक अपने परिवार का पहला
छात्र है जो आईआईटी से इंजीनियरिंग करेगा। यही नहीं राजगिर के
लाहूर गांव का निवासी है वहां का भी पहला आईआईटीयन बना है।
विवेक एक बार कोटा आकर स्वास्थ्य ठीक नहीं रहने के कारण
वापस लौट चुका था, लेकिन जिद के चलते दुबारा आया और मुकाम
हासिल किया। एलन ने भी पूरा साथ दिया और विवेक को मंजिल
मिली। विवेक ने बताया कि घटना बचपन की है। उम्र दो-तीन साल
की ही थी। पापा के साथ बैठकर स्कूटर से बाजार जा रहे था। आगे
खड़ी कार के ड्राइवर ने अचानक दरवाजा खोल दिया। हम गिर पड़े।
मेरे चेहरे और हाथ में चोट आई। चोट गंभीर थी एक हाथ काम नहीं
कर रहा था। इलाज के चलते स्कूल में एडमिशन देरी से हुआ। इसके
बाद भी स्कूल में नियमित नहीं रह सका। महीने में एक बार ही जाता
था। 8 साल तक कई डाॅक्टर और फिजियोथैरेपिस्ट का इलाज चला
इसके बाद भी हाथ की स्थिति नहीं सुधरी। मैंने डाॅक्टरों के पास जाना
छोड़ दिया, कुछ सालों तक घर पर एक्सरसाइज की इसके बाद वो भी
बंद कर दी। पढ़ाई में लग गया।

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