Wednesday, July 13, 2016

नीतीश कैबिनेट की बैठक में किसानो के लिए 174 करोड़ रुपए मंजुर, 11 अन्य मुख्य एजेंडों पर लगी मुहर

नीतीश कैबिनेट के बैठक ने फिर किसानों के लिए खुशखबरी लाई है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में पटना में मंगलवार को अपराह्न 04:00 बजे से मंत्रिपरिषद् की बैठक हुई जिसमे 12 एजेंडों पर मुहर लगी है. नीतीश कुमार ने वर्ष 2016-17 में सिंचाई के लिए डीजल अनुदान हेतु 145.7175 करोड़ रूपये तथा आकस्मिक फसल योजना के लिए 24.2825 करोड़ रूपये, कुल 170.00 करोड़ रूपये (एक अरब सत्तर करोड़ रूपये) की लागत पर कार्यक्रम कार्यान्वयन तथा येाजना उद्व्यय एवं बजट उपबंध के अधीन व्यय की स्वीकृति दे दी है.



1. कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा के नियंत्रणाधीन उपशास्त्री स्तरीय महाविद्यालयों के शिक्षकों/शिक्षकेतर कर्मियों को संकल्प संख्या-630, दिनांक-21.01.2010 के आलोक में दिनांक-01.01.2006 के प्रभाव से पुनरीक्षित वेतनमान की स्वीकृति.
2. सामान्य प्रशासन विमाग 2. वितीय_वर्ष 2016-17 में बिहार कर्मचारी चयन आयोगु द्वारा प्रथम इण्टर स्तरीय संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा के T आयोजन हेतु कुल र 25,00,00,000/-(पचीस करोड़ रूपये) मात्र के बिहार आकस्मिकता निधि से अग्रिम की स्वीकृति.

3. सामान्य प्रशासन विमाग 3. बिहार प्रशासनिक सेवा संवर्ग के पदाधिकारियों को अपर समाहत्त/समकक्ष स्तर, पे–बैंड र 15,600-39,100/–, ग्रेड पे र 7,600/-से संयुक्त सचिव/समकक्ष स्तर के पद, पे बैंड र 37,400-67,000/-ग्रेड पे र 8,700/-में प्रोन्नति देने के संबंध में.

4. बिहार असैनिक सेवा में सीधी नियुक्ति हेतु बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा को ससमय आयोजित किये जाने के निमित्त बिहार असैनिक सेवा (कार्यपालिका शाखा) और बिहार कनीय असैनिक सेवा (भर्ती) नियमावली, 1951 (समय-समय पर यथा संशोधित) के परिशिष्ट घ’ में अंकित परीक्षा संरचना को संशोधित करने की स्वीकृति आयोग को प्रदान करने के संबंध में।
5. स्वास्थ्य विमाग के अंतर्गत राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेजों स्वीकृत के पूर्ण अर्हता प्राप्त 09 व्याख्याताओं की प्रवाचक/ प्राध्यापक के रिक्त पदों पर पे बैण्ड 15,600-39,100 +ग्रेड पे. 6600/15,600-39,100+ग्रेड पे. 7600 नियमित प्रोन्नति की स्वीकृति.

6. वर्ष 2016-17 में अनियमित मॉनसून/बाढ़/सूखे जैसी आपातकालीन स्थिति उत्पन्न होने पर वर्ष 2016-17 में सिंचाई के लिए डीजल अनुदान हेतु 145.7175 करोड़ रूपये तथा आकस्मिक फसल योजना के लिए 24.2825 करोड़ रूपये, कुल 170.00 करोड़ रूपये (एक अरब सत्तर करोड़ रूपये) की लागत पर कार्यक्रम कार्यान्वयन तथा येाजना उद्व्यय एवं बजट उपबंध के अधीन व्यय की स्वीकृति.

7. सूचना प्रावैधिकी विभाग राज्य सरकार में e-Auction Module लागू करने तथा ई-क्रय प्रणाली में संशोधन करने के संबंध में.

8. राजीव गाँधी पंचायत सशक्तीकरण अभियान योजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2016-17 में र 6059.15 लाख (साठ करोड़ उनसठ लाख पन्द्रह हजार रूपये) मात्र की राशि की स्वीकृति.

9. मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना के कार्यान्वयन हेतु मंत्रिपरिषद् की स्वीकृति.

10. पंचायती राज विभाग बिहार ग्राम कचहरी न्यायमित्र (नियोजन, सेवाशर्त्त एवं कर्त्तव्यं) नियमावली, 2007 के नियम 6 के उप नियम (5) में संशोधन की स्वीकृति के संबंध में.

11. ग्रामीण विकास विभाग संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना एवं राष्ट्रीय काम के बदले अनाज योजना के अंतर्गत उठाव किये गये खाद्यान्न के अवशेष अंश की वसूली एवं उसकी क्षति के दायित्व का निर्धारण हेतु गठित न्यायिक जाँच आयोग (Commission of Inquiry Act, 1952 के अंतर्गत) के कार्यकाल को छः माह यथा 18.07.2016 से 17.01.2017 तक बढ़ाने के संबंध में.

12. पंचायती राज विभाग पंचायती राज संस्थाओं को समावेशी, प्रभावी रूप से क्रियाशील एवं उत्तरदायी बनाने के उद्देश्य से विश्व बैंक की ऋण सहायता (70 प्रतिशत) एवं राज्य अंशदान (30 प्रतिशत) से 120 मिलियन यू०एस० डॉलर की राज्य मंत्रिपरिषद द्वारा स्वीकृति, बिहार पंचायत सुदृढीकरण परियोजना का पुर्नगठन करने की स्वीकृति.

Tuesday, July 12, 2016

शिवदीप लांडे: बिहार का सबसे लोकप्रिय पुलिस अफसर है, इनका रुतबा किसी सुपर स्टार से कम नहीं

सलमान खान के दबंग फिल्म का चुलबुल पांडे तो याद ही होगा जो बाहुबली छेदी सिंह को उसी के अंदाज में उसी को धूल चटा दिया।


आज हम आपको एक ऐसे ही पुलिस ऑफ़िसर के बारे में बता रहे हैं, जो सिंघम या दबंग तो नहीं पर सिंघम से कम भी नहीं है और दबंग से कम चुलबुला भी नहीं!

ये ऑफ़िसर किसी पर्दे पर या बॉलिवुड की फ़िल्म में नहीं बल्कि बिहार के पटना में मिला है.  बिहार का बच्चा भी अब शिवदीप लांडे बनने का सपना देखता है।  बिहार में शिवदीप लांडे का रूतवा किसी सुपर स्टार से कम नही है बस फर्क इतना सा है वह नकली है, और लांडे असली है।  लड़कियां तो लांडे की दिवानी है।  लोग फिल्म स्टार का औटोग्राफ लेता है मगर बिहार की लड़कियां लांडे का औटोग्राफ लेती है।


बिहार के जिस जिलों में इनको काम करने का मौका मिला, वहां के लोग इनके बहादुरी, ईमानदारी और काम देख लोग इनके फैन बन गये।
उनकी प्रसिद्धि का आलम यह है कि जब उनका ट्रांसफर पटना से अररिया हुआ तो लोगों ने अपने सिंघम की वापसी के लिए शहर में कैंडल मार्च निकाल दिया.
पटना से इनके ट्रान्सफर होने पर इनके मोबाईल पर  sms की लाईन लग गयी।  करीब 2000 लड़कियों ने इनको मैसेज किया था।

शिवदीप लांडे समर्थन में कैंडल मार्च..
पटना के इस सिंघम ने अररिया में भी क्रिमिनलों और माफियाओं के अलावा भ्रष्ट अधिकारियों की नाक में दम कर दिया और उन्हें भागने पर मजबूर कर दिया. शिवदीप द्वारा चलाये गए अभियानों में निशाने पर वो लोग थे, जिनके डर से लड़कियां अपने घरों से निकलने में डरती थीं

इसके अलावा ये सिंघम अपनी समाज सेवा के लिए भी पहचाना जाता है.

शिवदीप अपनी सैलेरी का 60% एक NGO में दान कर देते हैं, जो गरीब बच्चों को आसरा प्रदान करने के अलावा गरीब लड़कियों की शादी करवाता है.

इलेक्ट्रिकल इंजीयरिंग में Graduation करने के बाद शिवदीप वमन लांडे देश सेवा करना चाहते थे, जिसके लिए उन्होंने UPSC का रास्ता चुना और एक आई.पी.एस अधिकारी के रूप में अपनी सेवा शुरू की. पटना के Special Task Force में बतौर SP नियुक्त हुए.

Monday, July 11, 2016

मैरीन ड्राईव के तर्ज पर उससे 13 गुना लंबा पटना में बन रहा है गंगा पथ

पटना: मुंबई के मरीन ड्राईव और लंदन के टेम्स पाथ की तर्ज पर पटना के गंगा घाटों को भी जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना पर तेजी से काम चल रही है। पूरे 3330 करोड़ की यह योजना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट है।




गंगा के तटों की खूबसूरती समेटते हुए 40 किलोमीटर लंबी सड़क निर्माण का काम जारी है जो लंदन में टेम्स नदी के किनारे पर बिछे 60 किलोमीटर लंबे टेम्स पाथ से तो छोटा होगा पर मुंबई के मरीन ड्राइव से तेरह गुना बड़ा होगा।

मरीन ड्राइव : गंगा किनारे 2 KM तक पिलर तैयार है।
गंगा पाथ का पूरा होना स्टेट के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट सेक्टर में बड़ी उपलब्धि होगी. बिहार स्टेट रोड डेवलपमेंट कारपोरेशन के सूत्रों का कहना है कि इस टेंडर के लिए सात में से चार कंपनियों ने क्वालिफाई किया था, जिनमें फाइनली नवयुग को इंजीनियरिंग प्रिक्योरमेंट कांट्रेक्ट (ईपीसी) मोड पर टेंडर अवार्ड किया गया. गंगा पाथ में 50 परसेंट रोड और 50 परसेंट एलिवेटेड रोड बनाए जाएंगे. कंपनी को कॉरपोरेशन की ओर से लेटर ऑफ एक्सेप्टेंस भी इश्यू कर दिया गया है. इस प्रोजेक्ट का कंस्ट्रक्शन कॉस्ट करीब 2000 करोड़ रुपए है. दूसरे एक्सपेंस जैसे लैंड एक्वीजिशन आदि को लेकर टोटल 3330 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट है.
अभी तक 2 KM तक का पिलर तैयार हो चुका है। यह 31 अगस्त 2019 तक पूरी तरह बन के तैयार हो जाएगा।

 – टोटल 3330 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट
– कंस्ट्रक्शन वर्क 2000 करोड रुपए का
– गंगा के किनारे 21.5 किमी लंबी सड़क
– पटना वेस्ट को नार्थ पार्ट से जोड़ेगी यह सड़क
– 50 परसेंट रोड और 50 परसेंट एलिवेटेड रोड बनाए जाएंगे

क्या होगा फायदा
पटना वेस्ट से होकर नार्थ बिहार जाने में पहले जहां 2 घंटे का एक्स्ट्रा सफर तय करना पड़ता था, इस ड्र्राइव वे के बनने के बाद यह डिस्टेंंस सिर्फ 20 मिनट में ही तय किया जा सकेगा.

Highlights
गंगा पाथ के नाम की भी इंटररेस्टिंग स्टोरी है. 2005 में जब इस प्रोजेक्ट का सपना बुना गया था, तो इसे गंगा एक्सप्रेस वे का नाम दिया गया. फिर बाद में इसे गंगा ड्राइव वे कहा गया. कुछ दिनों के लिए इसे सिग्नेचर रोड कहा गया, फिर फाइनली गंगा पाथ के नाम पर मुहर लग गई. ईपीसी मोड के तहत प्रोजेक्ट कॉस्ट का 60 परसेंट कंपनी और 40 परसेंट गवर्नमेंट देती है.

बिहार सरकार ने गंगा पर्यटन को विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने का महत्वपूर्ण माध्यम बनाया है। इसके तहत गंगा में तैरता रेस्तरां स्थापित हो चुका है। पटना और हाजीपुर के बीच गंगा किनारे बने टापू को पर्यटन स्थल का रूप दिया जा चुका है और गंगा आरती भी शुरू हो गई है

Friday, July 8, 2016

बिहार की बेटी जर्मनी में करेगी भारत का नाम रौशन

बिहार की बेटियां हर क्षेत्र में राज्य का नाम ही नही बल्कि देश का भी नाम शिखर पर पहुंचा रही है  बिहार सिर्फ डाक्टर, इंजिनियर या आईएएस नहीं बनता बल्कि हर क्षेत्रों में बिहारी का दबदबा है।  दूसरे लोगों के अपेक्षा हमारे पास बहुत सिमित संसाधन है बावजूद इसके हम सबसे आगे है।






आठ साल पहले 2008 में बिहार की मीरा कुमारी का चयन इंडियन टीम से लांग राइफल में शूटर के रूप में हुआ था। वह अकेली लड़की थी जिसका सिलेक्शन पुणे में आयोजित यूथ कॉमनवेल्थ गेम्स में हुआ था।
तब मीरा को अंतरराष्ट्रीय चैम्पियनशिप के लिए जर्मनी जा के देश के लिए खेलना था। लेकिन उसके पास न तो राइफल थी और न ही लाइसेंस। लिहाजा, वह जर्मनी नहीं जा पाई।
फिर 2009 में भी चेक गणराज्य के लिए मीरा का सिलेक्शन हुआ था। इस बार भी वो नहीं जा सकी।
पिता प्रिंटिंग प्रेस में एक साधारण मजदूर है।  परिवार के पास इतना पैसा नहीं था कि अपनी होनहार बेटी को राइफल खरीद के दे सके।
मीरा 50 मीटर प्वाइंट 22 लांग रेंज राइफल्स की शूटर है। इसके लिए प्रतिभागी को अपना राइफल या फिर लाइसेंस की जरूरत होती है।
प्रैक्टिस भी खर्चीला होता है। मीरा बताती है कि एक गेम में 50 हजार तक का कारतूस खत्म हो जाता है। एक्यूरेसी के लिए 20 लाख का रायफल आता है।

मगर कहते है न कि मौका किसमत से नहीं काबलियत से मिलती है।  2016 में एक बार फिर मीरा को मौका मिला है। मीरा ने 15 अप्रैल से 14 मई तक दिल्ली में कैंप में प्रैक्टिस किया है और अंतरराष्ट्रीय चैम्पियनशिप जर्मनी में सितंबर में होना है।

मीरा को एमएलसी देवेश चंद्र ठाकुर ने करीब पौने तीन लाख रुपए का राइफल खरीद कर दिया है।
यही नहीं उसे खेल कोटे से तृतीय श्रेणी की नौकरी मिल गई है। लिहाजा, उसकी मुश्किलें आसान हो गई है।
मीरा मानती है कि शुरूआती दौर में अवसर नही मिलने से उसका परफॉर्मेंस डाउन होने लगा, जिसे वापस लाने में काफी मेहनत करनी पड़ी है।

मीरा के पिता पूर्णिया में एक प्रिटिंग प्रेस में काम करते थे। तभी एनसीसी में पार्टिसिपेंट के कारण मीरा का चयन लांग राइफल शूटिंग में हुआ था।
उसके बाद से उसे नेशनल चैम्पियनशिप में भाग लेने का अवसर मिला। वह 2008 से 2012 तक इंडिया टीम का हिस्सा रही।

26 वर्षीय मीरा बिहार के नवादा जिले के सदर प्रखंड के दलदलहा निवासी विजय चौैहान की बेटी है।
मीरा छह बहन और एक भाई में दूसरे स्थान पर है।
बड़ी बहन की शादी हो गई है। मीरा के पिता खेतिहर मजदूर हैं।खेती से बचे समय में वह प्रिंटिंग प्रेस में मजदूरी करते हैं। पांच बहने की पढ़ाई और शादी की जिम्मेवारी बाकी है।

विपरित परिस्थितियों के बावजूद, रास्ते में आए सभी रूकावतों का सामना करते हुए मीरा ने यहां तक रास्ता तय किया है। मीरा के हौसले को हमारा सलाम।  उसने यह फिर साबित कर दिया की बिहारी में इतनी क्षमता है कि अकेले पहाड का भी सीना चीर दे।

जापानी टीवी चैनेल आनंद कुमार के सुपर-30 पर बना रही है डॉक्यूमेंट्री

पटना: जापान का एक टेलीविजन चैनल पटना में इस पर डॉक्यूमेंट्री बनाने पहुंचा है कि गणितज्ञ आनंद कुमार के दिशा-निर्देश में और उनकी सुपर 30 टीम के तहत आईआईटी के लिए समाज के वंचित तबके के छात्र किस तरह तैयार होते हैं।ज्ञात हो सुपर 30 दुनिया के तीन सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में एक है, यह बिहार की राजधानी पटना में स्थित एकमात्र ऐसा संस्थान है जँहा से हर वर्ष 30 में से 30 मेधावी छात्र आईआईटी जैसे जानेमाने संस्थानों में एडमिशन पाते हैं।


टोक्यो टीवी के मसाकी होजो ने कहा, ‘‘पूर्वी भारत में आर्थिक हालात और गरीब परिवार के बच्चे शिक्षा को एक माध्यम बनाते हुए कैसे सफलता हासिल करते हैं हम इस पर ध्यान केन्द्रित करना चाहते हैं। सुपर-30 ऐसी जगह है जो उनके सपनों को पूरा करने में मदद करती है जिससे कि कई छात्र आईआइटी और जापान भी पहुंच रहे हैं।’’ सुपर 30 के दो पूर्व छात्र अब तोक्यो विश्वविद्यालय में अध्ययन कर रहे हैं।

होजो ने कहा कि तोक्यो टीवी टीम कुछ छात्रों के परिवारों से मिलेगी और उनकी पृष्ठभूमि, उनकी कठिनाइयों और सफलता हासिल करने के उनके जज्बे को कैमरे में कैद करेगी।

डिबिया और लालटेन की रौशनी में पढ़कर बिहार के लाल बने आईएस अफसर

बिहार के छात्र काफी परिश्रमी होते हैं इसमें कोई संदेह नही, कई दशको से इसी मेहनत के बदौलत बिहारियों ने यूपीएससी, आईआईटी और न जाने कितने प्रतियोगी परीक्षाओं में परचम लहराकर बिहार का नाम ऊँचा किये हैं।
इस बार बिहार के मधेपुरा जिले के बिहार के सिखिया गांव के रहने वाले आदित्य आनंद भी अपने प्रतिभा का परिचय देते हुए कड़ी मेहनत की भट्टी से निकलकर सिविल सेवा की परीक्षा में पांचवीं कोशिश में कामयाब हुए हैं. डिबिया और लालटेन की रोशनी में पढ़कर आदित्य ने यूपीएससी में 863वीं रैंकिंग पाई है. आदित्य के गांव में बिजली और सड़क नहीं है लेकिन अब पूरा गांव आदित्य पर गर्व कर रहा है.




पटना के अनुपम शुक्ला ने 10वीं रैंक हासिल की. अनुपम 2013 में भारतीय वन सेवा के लिए चुने गए थे.

इसके अलावा पटना के कुमार आर्शीवाद को 35वीं, रवि प्रकाश को 54वीं, औरंगाबाद के विवेक कुमार को 80वीं, दरभंगा के सौरभ को 142वीं, अंजनी अंजन को 148वीं, अभिषेक गुप्ता को 202वीं, मनीष कुमार को 242वीं, दरभंगा के दीपक आनंद को 235वीं और अभिषेक सिन्हा को 392 रैंक हासिल हुए हैं.

बिहार पुलिस भी अब किसी से कम नही

बिहार पुलिस में कई दबंग और जाबांज अफसर आ चुके जिनके खौफ से अपराधी बिहार में कदम भी रखने से कांपते है अब वह दिन गये जब बिहार पुलिस सिर्फ अपने नकामी और सुस्त रवैये के लिए जाना जाता था।  पिछले 10 सालों में बिहार के साथ बिहार पुलिस की भी हालत बहुत सुधरी है।  बिहार पुलिस अब सिर्फ तोंद निकले हुए पुलिस वालो के लिए नहीं बल्कि अब बहादुर ,  जबाज और ईमानदार अफसरो के लिए देश भर में चर्चा में बनी रहती है।



बिहार पुलिस
अब बिहार पुलिस में शिवदीप लांडे जैसा ईमानदार और दबंग एसपी है जो अपराधियों को उसके ही भाषा में जवाब देते है।  एक सर्वे में लांडे को देश के 10 सबसे ईमानदार अफसर के सूची में जगह दी है।
मनु महाराज जैसे अफसर है जो आपनी बहादूरी के लिए बिहार के साथ देश में भी प्रसिद्ध है।  अपराधी मनु महाराज के नाम से ही कांपने लगते है।  अभी पटना की कमान मनु महाराज के हाथ में ही है।
विकाश वैभव जैसे अफसर जो नेताओं को उसकी औकात दिखाने से भी नहीं हिचकते हैं।  बाहुबली अनंत सिंह को विकाश वैभव ने ही जेल पहुचाया था।
सियासी हनक वाले कुख्यात माफिया सरगना बिंदी यादव और तीसरी बार एमएलसी मनोरमा देवी के सनकी बेटे रॉकी यादव की हेकड़ी तोड़ने वाली -गया एसएसपी गरिमा मलिक ने भी बता दिया खाकी को मर्द पहने या महिला कोई फर्क नहीं परता।

Breaking News : विश्व बैंक बिहार को देगा 29 करोड़ डॉलर


विश्व बैंक ने बिहारवासियों को एक खुशखबरी दी है।
 विश्व बैंक ने बिहार में गरीबों काे आजीविका के बेहतर अवसर उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार के साथ आज 29 करोड़ डॉलर के ऋण का करार किया। बिहार ट्रांसफॉर्मेटिव डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (जीविका-2) नामक इस परियोजना से 300 प्रखंडों और 32 जिलों के लोगों को लाभ मिलेगा।

विश्व बैंक ने बताया कि इस धन राशि का उपयोग ग्रामीणों को स्वयं सहायता समूह बनाने तथा बाजार, सार्वजनिक सेवाओं तथा वित्तीय सेवाओं तक पहुँच उपलब्ध कराने के लिए किया जायेगा। उन्हें वाणिज्यिक बैंकों तथा अन्य औपचारिक प्रतिष्ठानों के जरिये वित्तीय सहायता मुहैया कराई जायेगी।
परियोजना में महिलाओं को प्राथमिकता दी जायेगी।महिलाओं की स्वामित्व वाली कृषि उत्पाद कंपनियों की स्थापना के लिए मदद की जायेगी।महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को भी पैसे मुहैया कराये जायेंगे।

समेकित बाल विकास कार्यक्रम तथा स्वच्छ भारत अभियान के जरिये पोषण, हाइजिन तथा साफ-सफाई को बढ़ावा इस परियोजना का लक्ष्य होगा।जीविका का पहला चरण 2007 में शुरू किया गया था।इसके तहत 42 प्रखंड तथा छह जिलों में यह परियोजना चलाई गई थी।वर्ष 2012 में इसके लिए और वित्तीय सहायता उपलब्ध करा कर 60 प्रखंडों तक इसका विस्तार किया गया।इससे गरीब घरों की लगभग 18 लाख महिलाओं को फायदा हुआ है।इसके तहत डेढ़ लाख स्वयं सहायता समूह बनाये गये।

इन समूहों को नौ हजार 500 ग्रामीण संगठनों के तहत रखा गया जिन्हें पुन: 161 क्लस्टर लेवल फेडरेशन बनाकर उनके तहत लाया गया।दूसरे चरण में आजीविका-2 के तहत उन 32 जिलों और 300 प्रखंडों को शामिल किया जायेगा जो पहले चरण का हिस्सा नहीं थे।
परियोजना के ऋण दस्तावेज पर भारत सरकार की ओर से आर्थिक मामले विभाग में संयुक्त सचिव राज कुमार, बिहार सरकार की ओर से ग्रामीण विकास विभाग में सचिव अरविंद कुमार चौधरी तथा विश्व बैंक की तरफ से भारत में कार्यवाहक निदेशक जॉन ब्लामकिस्ट ने हस्ताक्षर किये।

लालू ने कहा फिल्मों में काम तो करूँगा लेकिन हीरो मैं ही रहूंगा

ईद के अवसर पर अभिनेता इरफ़ान खान ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद से उनके आवास पर जाकर मुलाकात की। इरफान लालू प्रसाद से कई सवाल भी किए। जब लालू प्रसाद से पूछा गया कि आप इरफान की फिल्म में काम करेंगे तो लालू ने कहा कि काम तो करेंगे, लेकिन हीरो मैं ही रहूंगा। फिल्म मदारी के प्रोमोशन के लिए इरफान पटना आए हुए है। इरफान की फिल्म मदारी 22 जुलाई को रिलीज होने वाली है।



इरफान ने कहा-आम आदमी की फिल्म है मदारी
इरफान ने कहा कि फिल्म मदारी आम आदमी की फिल्म है जिसमें एक व्यक्ति के जमुरा से मदारी बनने की कहानी दिखाई गई है। इरफान ने कहा कि मैं आम आदमी की तरह ही राजनेता लालू जी से सवाल पूछने आया हूं और उम्मीद है कि सारे सवालों का जवाब लालू जी से मिलेगा। लालू से पूछने के लिए मेरे पास कई सवाल है।

मौका मिला तो सीएम नीतीश से करूंगा मुलाकात
इरफान ने कहा कि मौका मिला तो बिहार के सीएम नीतीश कुमार से भी मुलाकात हो सकती है। टीम ने अलग-अलग लोगों को भेजा है जिसमें लालू से समय मिला लेकिन अगर मौका मिला तो नीतीश से भी जरूर मिलूंगा। इरफान ने कहा कि मेरी फिल्म मदारी राजनीति को नहीं बल्कि सिस्टम की खामियों को दिखाता है।

बिहार के रवीश कुमार जर्नलिस्ट ऑफ़ द ईयर

बिहारी हर क्षेत्र में सबसे आगे निकल रहे है भला अब न्यूज-मीडिया के क्षेत्र में कोई बिहारी कैसे छूट जायेगा।


एनडीटीवी के प्रमुख पत्रकार रविश कुमार को जर्नलिस्ट ऑफ़ द ईयर के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है. मुम्बई प्रेस क्लब के द्वारा आयोजित रेड इंक अवार्ड में पत्रकारों को प्रतिष्ठित रेड इंक अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। और भी पत्रकारों को अवार्ड मिले हैं जिनमें से इंडियन एक्सप्रेस समेत NDTV के पत्रकार शामिल हैं. जबकि रवीश कुमार को जर्नलिस्ट ऑफ़ द ईयर के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। पुरस्कार केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और महाराष्ट्र के राज्यपाल सी विद्यासागर राव द्वारा प्रस्तुत किए गए।    उल्लेखनीय है कि रविश कुमार बिहार के जिला मोतिहारी के निवासी हैं उन्होंने अपनी प्राइमरी शिक्षा यहीं से ली है यह पहले ऐसे पत्रकार हैं जिसके बहुत से फैन हैं और बहुत से पत्रकार भी इनको अपना आदर्श मानते हैं.
रवीश कुमार एनडीटीवी के अबतक के सबसे जानेमने एंकर के रूप में मशहूर हैं। अपने बेबाक लेखनी और ब्लॉग के चलते भी रवीश के कई फैन हैं।

फिर से आईआईटी फैक्ट्री बनने के राह पर राजधानी पटना

पिछले कुछ रिपोर्टों के आधार पर ऐसा लग रहा है कि पटना फिर से IIT फैक्ट्री बनने की राह पर अग्रसर है. सन् 90 के दशक में भी पटना, जमशेदपुर, बोकारो इत्यादि जगहों से IIT के लिए खूब चयन होता था लेकिन बिहार की बिगड़ती कानून व्यवस्था ने वो संभावना लील ली. मैं उस जमाने में पटना में था जब प्रो. एस लाल को पटना साईंस कॉलेज के सामने गोली मार दी गई और के.सी सिन्हा सुरक्षा गार्ड रखने लगे थे. एक बनते कोचिंग हब के रूप में पटना का पतन हो रहा था और कोटा का उदय हो रहा था.



कोटा में जेके सिंथेटिक्स में काम करनेवाले वी. के बंसल ने अपनी बीमारी के बाद कोचिंग शुरू कर दी. कुछ बेरोजगार इंजीनियर भी उसमें शामिल हो गए. एक गर्म इलाके में एक उंघता-उनींदा सा शहर कोटा परवान चढ़ता गया. क्योंकि राजस्थान में कानून-व्यवस्था अच्छी थी और शहर को ठीकठाक बिजली मिल जाती थी. लेकिन हमारे पटना में ऐसा होना बंद होने लगा था. बाद में पटना के कई शिक्षकों ने कोटा में जाकर नौकरी कर ली. बिहार के गांव-गांव से बच्चे कोटा में जाकर किरायेदार बन गए. ऐसा पिछले 20 साल में हुआ. लेकिन बिहार की वो ऊर्जा, वो जीजिविषा खत्म नहीं हुई हैं. जमीन के अंदर उसकी जड़ अभी भी बरकरार है, बिहारियों में वो क्षमता है बिहार के तमाम मेंटर्स अगर जो दूसरे राज्यों में कोचिंग चला कर अच्छा परिणाम दे रहे हैं अगर वो बिहार की तरफ रुख कर जाये तो इसमें कोई संका नही है की बिहार देश का सबसे बड़ा आईआईटी का फैक्ट्री बन जायेगा।
बिहार के एक-एक गांवों से पढ़कर 10-10 बच्चे आईआईटी जा रहे हैं जो की बिहार के लिए कभी आश्चर्य का विषय नही रहा। बिहार की मिट्टी इतनी उपजाऊ है ही इसमें किंतु-परन्तु की कोई बात नही है।

Thursday, July 7, 2016

आईआईटी पटना कैंपस के निर्माण के लिए केंद्र सरकार ने मंजूर किए और 918 करोड़ रुपए

कुछ दिन पहले केंद्र सरकार ने IIT पटना के कैंपस निर्माण के लिए 760 करोड़ रुपए मंजुर किए थे। लेकिन,बजट को संशोधित कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने बुधवार को पटना समेत देश में आठ साल पहले स्थापित आईआईटी के आठ परिसरों के निर्माण के लिए संशोधित बजट को मंजूरी दी।इससेपहले 760 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए थे। लेकिन,बजट को संशोधित कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने बुधवार को पटना समेत देश में आठ साल पहले स्थापित आईआईटी के आठ परिसरों के निर्माण के लिए संशोधित बजट को मंजूरी दी।आईआईटी पटना के कैंपस के निर्माण के लिए केंद्र सरकार ने 918 करोड़ रुपए और मंजूर किए हैं हो गया है,जहां अभी काम चल रहा है। आईआईटी-बांबे और कानपुर जैसे पुराने आईआईटी की टक्कर का पटना आईआईटी का नया कैंपस बनाया जा रहा है। कैंपस में मॉडर्न और लग्जरी फैसिलिटीज हैं। वाई-फाई कैंपस है। रिसर्च के लिए मॉडर्न लैब है। साथ ही हाईटेक लाइब्रेरी और क्लासरूम भी हैं। इसे और डेवलप किया जाएगा।



2008 में पॉलीटेक्निक बिल्डिंग में शुरू हुआ था

वर्ष2008 में पटना को आईआईटी की सौगात मिली थी। तत्कालीन केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने इसकी नींव रखी थी। तब पटना आईआईटी के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पाॅलीटेक्निक पटना की नई बिल्डिंग में जगह दिला दी थी। संस्थान के रजिस्ट्रार सुभाष पांडे ने कहा कि पहले स्वीकृत राशि को रिवाइज किया गया है। कैंपस में काम अब भी चल रहा है। छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए पैसों को खर्च किया जाएगा। फेज-वाइज काम होगा,कम से कम पांच साल लग जाएंगे।

बिहार की पहली मुस्लिम बेटी बनी आईपीएस

यूपीएससी का रिजल्ट निकले और बिहारी इतिहास न दर्ज करे ऐसा कभी नही हुआ है। इस बार भी एक नया इतिहास बना जिसका इंतजार कई दशकों से था।
गुंचा सनोबर बिहार की पहली मुस्लिम महिला आईपीएस बनने जा रही हैं.



सनोबर को यूपीएससी के सिविल सर्विसेज परीक्षा में 424 वां रैंक मिला है और इस तरह वह बिहार की पहली मुस्लिम आईपीएस होने का गौरव प्राप्त करने वाली हैं.

हालांकि इससे पहले बिहार की ही सहला निगार 2010 में आईएएस बन चुकी हैं.

2014 के सिविल सेवा परीक्षा में देश भर से कुल 37 छात्र सफल रहे हैं इनमें बिहार की गुंचा सनोबर के अलावा  नबील अहमद रैंक 262 और मुदस्सर शरीफ रैंक 420 भी इस परीक्षा में कामयाब रहे हैं.



पिता आईपीएस, बहनें डॉक्टर

गुंचा सनोबर पटना के तेज तर्रार सिटी एसपी रह अनवर हुसैन की बेटी हैं. सनोबर तीन बहनों में मझली हैं. जेबा परवीन और खुशबू यासमीन मेडिकल की पढाई कर रही हैं.

सनोबर की शानदार सफलता पर पिता अनवर हुसैन ने कहा कि रमजान और ईद का इससे बड़ा तोहफा और क्या हो सकता है.

अनवर मानते हैं कि सनोबर की सफलता मुस्लिम समाज की महिलाओं के लिए एक प्रेरणा साबित हो सकती है.

गौरतलब है कि मुसलमानों में शिक्षा की दर समाज के अन्य वर्गों की अपेक्षा कम है, ऐसे में सनोबर की सफलता एक मिसाल है.अनवर हुसैन मूल रूप से पश्चिम चम्पारण के रहने वाले हैं.

सनोबर ने इल्कट्रानिक्स में इंजिनियरिंग किया है. उन्होंने यह सफलता दूसरी कोशिश में हासिल की.

सनोबर को बिहार कैडर मिलेगा या नहीं, फिलहाल यह कहना कठिन है लेकिन उनका कहना है कि अगर मौका मिले तो वह बिहार की सेवा जरूर करना चाहेंगी.

ईद के मौके पर सीएम नीतीश कुमार ने दिया पटना को बड़ा तोहफा

पटनवासियों के लिए ईद पर एक बड़ी खुशखबरी है। नीतीश सरकार ने ईद के ठीक एक दिन पहले पटना वासियों को एक बड़ी सौगात दी. सरकार ने गोला रोड फ्लाईओवर से सगुना मोड तक बेली के सर्विस लेन के बगल में 2.5 किलोमीटर लम्बा और ३ मीटर चौड़ा जॉगिंग ट्रैक बनाने की योजना बनाई है. ट्रैक पर दो ओपन जिम, शौचालय, पेयजल और मनभावन स्ट्रीट लाइट भी लगायी जायेगी. जौगिंग ट्रैक पर प्रत्येक 100 मीटर की दुरी पर पर बैठने के लिए बेंच भी लगाया जायगा.



कमिश्नर आनंद किशोर ने रूपसपुर थाने के पास बेली रोड के दोनों तरफ सर्विस लेन का निरीक्षण किया. उन्होंने इस क्षेत्र को आकर्षक और सुविधायुक्त बनाने के लिए 9 जुलाई तक डीपीआर तैयार करने का निर्देश दिया है. इस योजना में करीब 22 करोड़ रुपये खर्च होने की उम्मीद है. इस क्षेत्र में आबादी बढ़ने के बावजूद अभी तक पार्क नहीं है. जॉगिंग ट्रैक बन जाने से लोगों को सुविधा मिल जाएगी. कमिश्नर ने दानापुर एसडीएम और सीओ को नया पार्क बनाने के लिए दो स्थलों को चिह्न्ति कर प्रस्ताव बनाने का निर्देश दिया है. इस क्षेत्र में खाली पड़ी जमीन का इस्तेमाल नहीं होने से इस क्षेत्र का विकास नहीं हो सका है.

देश में शांति के अपिल के लिए बिहार के शंभू ने की 116 दिनों में 3 हजार किमी की पैदल यात्रा।

समस्तीपुर.देश-दुनिया में शांति के लिए मन में विश्वास लिए समस्तीपुर के कल्याणपुर थानांतर्गत सोरमार बघला गांव निवासी शंभू ठाकुर के 27 वर्षीय पुत्र अमित कुमार 116 दिनों में 3000 किमी का सफर तय कर वापस लौट आए। उनका यह सफर बीते 26 फरवरी को गांव से ही शुरू हुआ जो सात राज्यों के 35 जिले से होकर 21 जून को देश की सीमा जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिला अंतर्गत लखनपुर थाना पहुंचकर खत्म हुआ। हिमाचल में ऐसे बची जान...

- इस लंबी यात्रा के दौरान अमित जहां भी ठहरे वहां लोगों को आपस में भाईचारा कायम करने और सौहार्द बनाए रखने का संदेश दिया।
- राह चलते भी लोगों के पूछने पर यही संदेश वांचते चले। हालांकि, इस यात्रा में उन्हें कई जगहों पर काफी परेशानियां भी हुई।
- मगर, वे पीछे मुड़कर नहीं देखे। सैकड़ों लोगों ने इनके जज्बे को सलाम किया।
- एलएनएमयू, दरभंगा से गणित स्नातकोत्तर अमित का उद्देश्य शिक्षक बनना था।
- मगर, बाद में इनका उद्देश्य बदला और ये समाज सेवा की ओर मुखातिब हुए।
- इसकी शुरूआत इन्होंने पदयात्रा के जरिए करने की ठानी। इसके लिए डीएम और एसडीओ को पत्र लिखा और 24 को हरी झंडी दिखाने का आग्रह किया।
- मगर, ऐसा नहीं हुआ। जब 25 फरवरी की रात में डीएम प्रणव कुमार ने पदयात्रा के लिए उन्हें शुभकामनाएं दी और उत्साहवर्धन हुआ।
- तब 26 फरवरी की सुबह गांव से निकल पड़े। एसडीओ सदर कुमार देवेंद्र प्रौज्जवल के निर्देश पर चकमेहसी (कल्याणपुर) थाना पुलिस ताजपुर थाना क्षेत्र तक पहुंचा दी।
- अमित बताते हैं कि रास्ते में बुखार लग गया। तब वे 4 अप्रैल को यूपी के बाराबंकी जिला के मंगूपुर गांव में शिक्षक बिजेंद्र बहादुर सिंह के घर पर रुके।
- दवाइयां ली और अगले दिन आगे निकल पड़े। यात्रा के दौरान दिन में जहां भी रुके, वहीं लोगों के बीच कौतूहल के विषय बने रहे।
- रात्रि विश्राम गांव के मुखिया के यहां किए जहां जमा लोगों को अपने पदयात्रा के बारे में बता सकें।
लोग साथ आते गए और कारवां...

- पदयात्रा की शुरुआत अमित अकेले ही किए थे। मगर, जब आगे बढ़े तो वैशाली जिला के सतीश सिंह व रामबाबू पासवान साथ हुए।
- इसी प्रकार पठान कोट तक कभी दो तो कभी पांच आदमी अमित की यात्रा में साथ चलते रहे। कोई 5, 10 तो कोई 20 किमी तक साथ चले।
- बिहार के 6 जिले, यूपी के 19, उत्तराखंड के 1, हरियाणा के 3, हिमाचल के 4 एवं पंजाब के एक जिला को पार कर अमित जम्मू-कश्मीर पहुंचे।
पानी पीकर मंदिर में गुजारी रात

- पदयात्रा पर निकले अमित यूपी के मऊ जिले के सूरजपुर गांव में 12 मार्च को शाम के 7 बजे पहुंचे। वहां काफी दूर तक लोग नजर नहीं आए।
- वहीं पास में हनुमान जी की एक छोटा-सा मंदिर था। वहीं पानी पीकर सो गए।
- हरिद्वार जिला में 6 मई को बालावाली गांव व 9 मई को मंगलौर गांव के मजार में भी भूखे रह कर रात गुजारनी पड़ी। सफर के दौरान करीब 10 रातें इसी प्रकार गुजरीं।
...और हिमाचल में बची जान

- हिमाचल के कांगड़ा जिले में 31 मई को पहुंचने के बाद पहाड़ों की ऊंचाई भी अमित के हौसले को कम नहीं कर सकी।
- पहाड़ी पर चढ़ाई के दौरान पैर फिसला। गिर पड़े। इससे हाथ में चोट आई। पास में कोई दवा भी नहीं थी।
- फिर भी शांति के संदेश में रुकावट न आने देने को वह आगे बढ़ते रहे। कुछ दूर बाद एक स्वास्थ्य केंद्र मिला, जहां दर्द की दवा लेकर आगे बढ़ गए।
- अमित बताते हैं कि देश में संवेदनशील व्यक्तियों की कमी नहीं है।

Wednesday, July 6, 2016

वर्ल्ड बैंक के डायरेक्टर के पद पर बिहार का बेटा

किसी ने सही कहा है आम भूमि से सोना उपजती है लेकिन बिहार की मिट्टी से हीरा उपजती है। इस कहावत की सत्यता प्रदान करते बिहार के सहरसा जिले के बनगांव व निवासी सेवानिवृत्त बीडीओ मदन मोहन झा व कुंता देवी के पुत्र सरोज कुमार झा विश्व बैंक के सीनियर डायरेकटर है। वे 1990 बैच के आइएएस अधिकारी रह चुके हैं। उन्होंने कानपुर आइआइटी से सिविल इंजीनियरिंग व डवलपमेंट इकोनॉमिक्स की डिग्री हासिल की है।


सरोज कुमार झा की स्कूली शिक्षा बनगांव प्राथमिक स्कूल में हुई. रांची के संत जेवियर्स उन्होंने इंटर किया और फिर उनका सलेक्शन आईआईटी के लिए हो गया.

सरोज झा ने विश्व बैंक में अपने करियर की शुरुआत वर्ष 2005 में की थी. उस समय वे वरिष्ठ ढांचागत विशेषज्ञ के रूप में नियुक्त किए गए थे. इससे पहले सरोज झा यूनाइटेड नेशन के डेवलपमेंट प्रोग्राम के लिए सीनियर एग्जीक्यूटिव के रुप में भी काम कर चुके हैं.

इसी वर्ष एक फरवरी को  एक फरवरी को विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम यंग ङ्क्षकग ने उन्हें कमजोरी, टकराव व ङ्क्षहसा की चुनौती से निपटने के लिए अग्रणी नेतृत्व की भूमिका निभाने का काम सौंपा है।

स्कूली शिक्षा हुई गांव में
सरोज कुमार झा की स्कूली शिक्षा बनगांव एलीमेंट्री स्कूल में हुई जबकि मिडिल बेगूसराय और हाई स्कूल तक की शिक्षा पथरगामा (अभी झारखंड) में हुई। संत जेवियर्स, रांची से उन्होंने इंटर किया और फिर आइआइटी में उनका सेलेक्शन हो गया।

सरोज कुमार झा की इस उपलब्धि पर उनके मुहल्ले और गांव के लोगों में जबरदस्त उत्साह है। अपने घर और यहां की माटी से सरोज का गहरा लगाव है। यही वजह है कि वे हर दो-तीन माह पर एक बार जरूर सहरसा आते हैं।
कहा सरोज झा ने-
सहरसा और कोसी क्षेत्र पर मुझे गर्व है। इस इलाके में काफी संभावनाएं हैं। विश्व बैंक का सीनियर निदेशक बनने के बाद वे जल्द ही सहरसा आएंगे। सहरसा में उनके माता-पिता रहते हैं।
– सरोज कुमार झा, आइएएस
जहां कई लोग बडे पद या कामयाबी मिलते ही अपने गाँव व् समाज को भूल जाते हैं तो वही दुनिया के इतने बडे पद पर पहुंचने के बाद भी सरोज झा, अपने गाँव समाज व् अपने राज्य को नहीं भूले।  बिहार को गर्व है अपने इस लाल पर।

नासा अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिता परीक्षा में बिहार के बेटे ऋषभ का देश में चौथा स्थान

हर वर्ष आयोजित होने वाली अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिता परीक्षा नेशनल स्पेस सोसाइटी और नेशनल एयरोनोटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के स्पेस सेटलमेंट प्रतियोगिता में पटना के ऋषभ ने देशभर में चौथा स्थान प्राप्त किया है।



अंतराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित इस प्रतियोगिता में बिहार से अकेला ऋषभ ने चौथा स्थान प्राप्त किया है। आठवीं का छात्र ऋषभ अपनी इस सफलता से बिहार समेत देश को नाम रोशन किया है। ऋषभ के पिता भोला प्रसाद सिन्हा रेलवे में गार्ड हैं। मां सीमा सिन्हा हाउसवाइफ हैं। ऋषभ सेंट कैरेंस स्कूल खगौल से पढ़ाई कर रहा है। 100 पेज के रिसर्च प्रोजेक्ट ने दिलाई स्थान इस प्रतियोगिता के लिए ऋषभ ने 100 पेज का रिसर्च प्रोजेक्ट तैयार किया था। इसके अलावा अंतरिक्ष का थ्री-डी मॉडल भी बनाया था। ऋषभ ने बताया कि इस प्रतियोगिता के लिए रिसर्च पर आधारित एक ऐसा प्रोजेक्ट तैयार करना था, जिसमें पृथ्वी जैसे वातावरण में अंतरीक्ष में रहा जा सके। पूरी जगह को थ्री-डी मॉडल के जरिए बताना था। ऋषभ ने 100 के पेज के रिसर्च के साथ अपना प्रोजेक्ट तैयार किया, जिसे नासा और नेशनल स्पेस सोसाईटी में सरहना की गई। इसके आधार पर ऋषभ ने देशभर में चौथा स्थान प्राप्त किया। बनना चाहता है साइंटिस्ट ऋषभ का बचपन से ही साइंटिस्ट बनने का शौक है। ऋषभ बताते हैं उनका शौक सिर्फ थ्रीडी फिल्में देशना है। खासकर अंतरीक्ष पर वे हमेशा रिसर्च करते रहते हैं। उनका शौक है कि अंतरीक्ष में जाकर रहें और वहां पृथ्वी जैसा वातावरण बनाने के लिए प्रयास करेंगे। 10वीं के बाद ऋषभ आईआईटी से इंजीनियरिंग करना चाहते हैं।

बारिश में छतरी लेकर उतरे एसडीओ - क्यों ?

अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत सोमवार को बारिश से लग रहा था कि, कहीं आज प्रशासन की कार्रवाई न हो, मगर प्रशासन की जिद बारिश पर भारी पड़ी। एसडीओ कुमार अनुज मूसलाधार बारिश में छतरी लेकर सड़क पर उतरे और शहर की सड़कों के किनारे अवैध अतिक्रमण पर जेसीबी का कहर ढहने लगा। अब तीन दिन बाद चलेगा अभियान…

– कुछ ही घंटे में एसएम कालेज रोड, बड़गाछ चौक, डीआईजी ऑफिस के सामने की सड़क, कोयला और खिरनी घाट की सड़क अतिक्रमण से मुक्त करा दी गई।
– इस दौरान कई जगह सरकारी कब्जा भी दिखा, मगर जेसीबी के पंजे उस पर भी चले।


गोकुल स्वीट्स के सामान जब्त
– मनाली चौक के पास बने पुलिया के छोर पर बने निर्माण को तोड़ा गया।
– इसके बाद एसडीओ कुमार अनुज की अगुवाई में जेसीबी, दो दर्जन से अधिक जवान, बरारी थाने की पुलिस, एनएच के इंजीनियर, सिटी डीएसपी, अंचलाधिकारी के साथ काफिला एसएम कॉलेज रोड पहुंचा।
– वहां सड़क के दोनों तरफ बने अवैध निर्माण को जेसीबी से ढहा दिया गया।
– तीन दर्जन से अधिक कोचिंग संस्थानों के फ्लैक्स, नाले पर निर्माण, घर के बाहर सीढ़ियां, चारपहिया वाहन घुसने के लिए बने स्लोप को तोड़ा गया।
– वहां गोकुल मिठाई की दुकानों के रैक बाहर लगे थे। वहां जेसीबी ने गैस सिलेंडर जब्त कर काउंटर को तोड़ दिया।

अब तीन दिन बाद चलेगा अभियान
– एसडीओ कुमार अनुज ने बताया कि पुलिसकर्मियों की तैनाती ईद में सुरक्षा व्यवस्था के लिए की गई है इसलिए अब तीन दिन बाद अतिक्रमण हटाओ अभियान चलेगा।
– मंगलवार से गुरुवार तक अभियान बंद रहेगा। उन्होंने लोगों से अपील की है कि जिन लोगों ने नाले पर अतिक्रमण कर निर्माण किया है, उसे हटा लें।
– साथ ही दुकान के बाहर की सार्वजनिक जगहों को भी खुद अतिक्रमणमुक्त कर दें, नहीं तो आगे से अब गिरफ्तारी होगी और गैर जमानती वारंट के तहत पब्लिक प्रोपर्टी के अतिक्रमण को लेकर बने अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। इसीलिए सोमवार को एनएच के इंजीनियर को भी अभियान में शामिल किया गया था।\

Tuesday, July 5, 2016

एक हाथ से वंचित होने के बाद भी बिहार के विवेक ने पाई आईआईटी में सफलता

स्वास्थ्य ठीक नहीं रहने के बावजूद कोटा आया और आईआईटी दिल्ली में एडमिशन पाया राजगीर का विवेक ...
बिहार का यह लाल जी शारीरिक रूप से पूर्ण स्वस्थ न रहने के बावजूद भी देश की सबसे बड़ी प्रतियोगित परीक्षा में सफलता प्राप्त करके दुनिया के सामने नई मिसाल पेश की है।
हौसले की उड़ान के आगे एवरेस्ट भी छोटा पड़ जाता है। जुनून हो तो
सारा जहां झुक जाता है। इसी तरह की जिद पूरी करते हुए आईआईटी
में एडमिशन पाया है एलन के छात्र विवेक कुमार ने। हाल ही में काउंसलिंग के प्रथम चरण के परिणाम में आईआईटी दिल्ली में विवेक को सिविल ब्रंाच मिली है। बिहार के राजगिर कस्बा निवासी विवेक का एक हाथ काम नहीं करता। स्वास्थ्य ठीक भी नहीं रहता। तमाम विपरित परिस्थितियों के बावजूद विवेक ने कोटा में रहकर एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट में पढ़ाई की और जेईई-एडवांस के रिजल्ट में काॅमन मेरिट लिस्ट में शारीरिक विकलांग कोटे में 82 तथा ओबीसी
पीडब्ल्यूडी कोटे में अखिल भारतीय स्तर पर 25वां स्थान प्राप्त किया। बड़ी बात इसीलिए भी है क्योंकि विवेक का इलाज करते हुए डाॅक्टरों ने भी हार मान ली और कह दिया कि इसका हाथ ठीक नहीं हो सकता, यदि आॅपरेशन करवाए तो शरीर के दूसरे अंगों में असर हो सकता है। इसके बाद विवेक ने पढ़ाई में ध्यान लगाया और खुद को
साबित करने की जिद पकड़ ली।


आज विवेक अपने परिवार का पहला
छात्र है जो आईआईटी से इंजीनियरिंग करेगा। यही नहीं राजगिर के
लाहूर गांव का निवासी है वहां का भी पहला आईआईटीयन बना है।
विवेक एक बार कोटा आकर स्वास्थ्य ठीक नहीं रहने के कारण
वापस लौट चुका था, लेकिन जिद के चलते दुबारा आया और मुकाम
हासिल किया। एलन ने भी पूरा साथ दिया और विवेक को मंजिल
मिली। विवेक ने बताया कि घटना बचपन की है। उम्र दो-तीन साल
की ही थी। पापा के साथ बैठकर स्कूटर से बाजार जा रहे था। आगे
खड़ी कार के ड्राइवर ने अचानक दरवाजा खोल दिया। हम गिर पड़े।
मेरे चेहरे और हाथ में चोट आई। चोट गंभीर थी एक हाथ काम नहीं
कर रहा था। इलाज के चलते स्कूल में एडमिशन देरी से हुआ। इसके
बाद भी स्कूल में नियमित नहीं रह सका। महीने में एक बार ही जाता
था। 8 साल तक कई डाॅक्टर और फिजियोथैरेपिस्ट का इलाज चला
इसके बाद भी हाथ की स्थिति नहीं सुधरी। मैंने डाॅक्टरों के पास जाना
छोड़ दिया, कुछ सालों तक घर पर एक्सरसाइज की इसके बाद वो भी
बंद कर दी। पढ़ाई में लग गया।

बड़े पर्दे पर डेब्यू करने जा रही है बिहार की नुपूर झा, इण्डिया की पहली अंडरग्राउंड महिला रैपर है नुपूर

बिहार की बेटी नुपूर झा तमिल मूवी से कर रही है डेब्यू, हैं इंडिया की पहली महिला अंडरग्राउंड रैपर।


नूपुर बिहार की एक ऐसी लड़की हैं जिन्हें तमिल नहीं आती पर वे इसी लैंग्वेज में बनी फिल्म बड़े पर्दे पर डेब्यू कर रही हैं। वे एक रैपर भी हैं, उन्होंने 'निर्भया' को ट्रिब्यूट करते हुए 'बेफिक्र' नाम से रैप भी बनाया जो काफी फेमस हुआ था।
बिहार में मुंगेर की रहने वाली नूपुर झा इंडिया की पहली महिला अंडरग्राउंड रैपर हैं।
वे 2006 से रैप कर रही हैं। RAP (रिदम एंड पोएट्री) का मतलब बताते हुए उन्होंने कहा कि बचपन से उन्हें पोएट्री लिखने का शौक था। एक दिन वे अपने फेवरेट रैपर को सुन रही थी। तभी उन्होंने अपनी पोएट्री निकाली और सोचा कि इस रैप की धुन पर अपनी पोएट्री गाकर देखती हूं। इसके बाद से उन्होंने रैप करना शुरू कर दिया। नूपुर झा ने बताया कि उनके 'निर्भया' को दिए गए ट्रिब्यूट रैप को तमिल के डायरेक्टर-एक्टर सतीश रामाकृष्णन ने सुना था। इसके बाद उन्होंने अपनी अपकमिंग फिल्म के लिए रैप लिखने को कहा। वे बताती हैं कि अचानक एक दिन सतीश ने फिल्म में एक्टिंग के लिए पूछा तो मैंने हां कर दी। नूपुर के मुताबिक उन्हें तमिल नहीं आती, लेकिन शूटिंग के दौरान वहां मौजूद कास्ट एंड क्रू मेम्बर्स की हेल्प से सब आसान हो गया और उन्होंने डायलॉग्स बोले।नूपुर ने बताया कि फिल्म में उनका रोल एक रिसर्चर का है। जो लंदन की रहने वाली हैं। फिल्म में वे अपनी रिसर्च के जरिए पुलिस को क्लू देती हैं जिससे वह अपराधियों तक पहुंचती है।

नूपुर ने बताया कि उनके पापा राम कुमार झा रिटायर्ड ऑफिसर हैं। पापा और बड़े भाई का पूरा सपोर्ट रहता है। उन्होंने बताया कि हाल ही में उनकी इंगेजमेंट हुई है तो उनके होने वाले हसबैंड और उनकी फैमिली की ओर से भी सपोर्ट मिलता है। नूपुर ने बताया कि उन्होंने दिल्ली से आठवीं तक की पढ़ाई की है। इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वे विशाखापत्तनम चली गई। यहां से उन्होंने ग्रैजुएशन किया है। इसके बाद उन्होंने बेंगलुरु से मास कम्यूनिकेशन में मास्टर्स किया।

NDRF Alert : बिहार में बाढ़ का खतरा

बिहार में पिछले दिनों लगातार बारिश के कारण राज्य के कुछ हिस्सों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।
 राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल एनडीआरएफ ने बाढ़ के खतरे को देखते हुए बिहार के गोपालगंज और दरभंगा जिलों में आज अपनी टीम तैनात की. बिहटा स्थित एनडीआरएफ की नौंवी बटालियन ने यहां जारी एक बयान में कहा कि स्थिति से निपटने के लिए उसकी टीमें मुजफ्फरपुर, सुपौल और दीदारगंज और पटना जिले में  में पहले से ही तैनात हैं.

कल से राज्य में हो रही बारिश के चलते बिहार के कुछ इलाकों में बाढ़ आ सकती है. एनडीआरएफ की नौंवी बटालियन के कमांडेंट विजय सिन्हा ने कहा कि ये टीमें हवा वाली नाव, जीवन रक्षक जैकेट, गोताखोरों एवं अन्य उपकरणों से लैस हैं. ये टीमें लोगों को बाढ से निपटने के उपायों के बारे में जागरूक करेंगी.

बिहार कैबिनेट का फैसला राज्य के 1056 थाने होंगे CCTV कैमरों से लैस

पटना में मंगलवार को मंत्रीमंडल की बैठक सीएम नीतीश कुमार के अध्यक्षता में की गयी है, इस बैठक में राज्य के कुल 20 नए प्रोजेक्ट पर मंत्रियों की सहमती बनी। जिसमे फैसला किया गया की राज्य के 40 पुलिस जिले और चार रेल जिलों के 1056 थानों को सीसीटीवी कैमरा से लैस किया जायेगा.  थानों के हाजत और कार्यालय में सीसीटीवी कैमरा लगेगा.


गरीबी उन्मूलन को लेकर नया प्रोजेक्ट

मंत्रिपरिषद की बैठक में राज्य में तीन सौ प्रखंडों में गरीबी उन्नमुलन कार्यक्रम शुरू करने के लिए बिहार ट्रांसफॉरमेटिव डेवपलमेंट प्रोजेक्ट शुरू करने का निर्णय लिया गया है. इसके लिए विश्व बैंक से आठ जुलाई को राज्य सरकार और विश्व बैंक के अधिकारियों के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर होगा. इस योजना के तहत विश्व बैंक जहां 1936 करोड़ रुपये देगी वहीं राज्य सरकार 829 करोड़ रुपये खर्च करेगी.

कृषि यंत्रों पर खर्च के लिए खर्च होगा 175 करोड़

मंत्रिपरिषद की बैठक में कृषि यंत्रों की खरीद पर किसानों को अनुदान के लिए 175 करोड़ रुपये खर्च करने का निर्णय लिया गया है. राज्य में कृषि उत्पादन में बढ़ोत्तरी के उद्देश्य से यंत्रों की खरीद में अनुदान पर खर्च किया जायेगा. वहीं राज्य में खरीफ, गरमा और रबी फसलों के लिए बीज उत्पादन के लिए 21 करोड़ 28 लाख रुपये खर्च करने का निर्णय लिया गया है. बैठक में सेंटर फॉर गुड गवर्नेस सोसाइटी को विघटित करने का निर्णय लिया गया है. इस सोसाइटी का गठन 22 नवंबर 2011 में किया गया था.

Monday, July 4, 2016

टॉपर्स घोटाला : पटना पुलिस से हों गई बड़ी चूक, अब पुलिस पर ही हो सकती है कार्रवाई!

पिछले दिने हुए टॉपर्स घोटाला में टॉपर रूबी रॉय को जेल भेजना पटना पुलिस पर महंगा पड़ सकता है, चुकी रूबी रॉय अभी नाबालिग है. रूबी के उम्र को देखते हुए उसके साथ पुलिस को नरमी बरतना चाहिए था. चुकीं रूबी राय की उम्र 18 वर्ष से कम है इसलिए इस मामले में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के नियमों के  का उल्लंघन किया गया है. इन्ही नियमों के उल्लंघन के मामले में सामाजिक संगठन ‘प्रयास’ द्वारा दो दिनों में पटना हाईकोर्ट में रिट दायर की जाएगी.


जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के पूर्व सदस्य डीके मिश्रा एवं सामाजिक संगठन ‘प्रयास’ के स्टेट प्रोग्राम निदेशक सुरेश कुमार ने कहा कि इस मामले में पुलिस ने कानून का उल्लंघन किया है, कहा कि नियम के अनुसार रूबी को पटना पुलिस को सादी वर्दी में पकडऩा चाहिए था. उसे किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष उपस्थित करना चाहिए था. लेकिन, उसे कोर्ट में प्रस्तुत कर जेल भेज दिया गया.



इसके अलावा उन्होंने इस मामले में कहा कि यह बाल अधिकार एवं जेजे एक्ट के नियमों का उल्लघंन है. जघन्य अपराध में भी पुलिस किसी किशोर को जेल नहीं भेज सकती है. रूबी का मामला तो जघन्य अपराध में आता ही नहीं है. ऐसे में न्यायालय एवं जेल भेजना गलत है.
यहाँ तक कि इस मामले में रूबी के नाम को जेजे एक्ट की धारा 74 के तहत उजागर नहीं करनी चाहिए थी, लेकिन इसका ख्याल नहीं रखा गया. अब इस मामले में पटना पुलिस पर कार्रवाई करने के लिए दो दिनों के अंदर हाईकोर्ट में मामला दर्ज किया जाएगा.

खुशखबरी : रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने बिहार को फिर दिया बड़ा तौहफा

 रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने पिछले सोमवार को आरा व पटना के बीच एक शटल ट्रेन सेवा का उद्घाटन किया. खास कर पटना से आरा के बीच जो लोग जॉब और काम करने आते थे उनको बहुत भीड़ और असुविधा का सामना करना परता था. इसलिए यात्री लंबे समय से एक गाड़ी की मांग कर रहे थे. दानापुर रेलमंडल के आरा-पटना स्टेशनों के बीच नई मैमू ट्रेन सेवा की शुरुआत पिछले सोमवार को हुई.




सोमवार दोपहर बाद 3:15 बजे इस ट्रेन का उद्घाटन रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए किया और आरा में स्थानीय सांसद आरके सिंह खुद ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर की. आरा के स्टेशन प्रबंधक एसएन पाठक ने कहा कि ट्रेन के शुरू होने से यात्रियों को बहुत सहूलियत हो गई है. शाम 3:15 बजे आरा से खुलने वाली यह ट्रेन सभी स्टेशन व हाल्टों पर रूकते हुए शाम 5:15 बजे पटना पहुंचेगी.
मंगलवार से यह ट्रेन प्रतिदिन सुबह 7:05 बजे आरा से पटना के लिए खुलेगी और शाम 5:15 बजे पटना से आरा के लिए खुलेगी. यह ट्रेन आरा से पटना के बीच का सफर महज 1 घंटा 35 मिनट में पूरी करेगी.

बिहार में उच्च विद्यालयों व प्लसटू स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती शुरू, जल्द करें आवेदन

एसटीईटी प्रशिक्षित उम्मीदवारों के लिए बड़ी खुशखबरी है.
राज्य में उच्च विद्यालयों और प्लस टू स्कूलों में शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। सटीईटी उत्तीर्ण प्रशिक्षित अभ्यर्थी माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों के खाली पदों पर आवेदन कर सकते है. आप 26 जुलाई तक एसटीईटी पास प्रशिक्षित अभ्यर्थी नियोजन इकाइयों में अपना आवेदन जमा कर सकते हैं.
26 सितम्बर को चयनित शिक्षकों
को नियुक्ति पत्र दिया जायेगा. हालाँकि विभाग की तरफ से कितने पदों पर भर्ती होगी इसका डाटा नहीं आया है लेकिन यह भी पता चल जायेगा. माध्यमिक निदेशालय ने सभी जिलों को पहले 17 और फिर 21 जून तक रिक्तियों की गणना कर मुख्यालय भेजने का निर्देश था, ताकि 27 जून से नियुक्ति का आवेदन लिया जा सके. लेकिन 27 जून तक केवल चार जिलों ने अपनी रिक्ति विभाग को भेजी है इसीलिए अब तक पदों की संख्या का खुलासा नहीं हो पाया है.



लाइव हिंदुस्तान डॉट कॉम के मुताबिक शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव डॉ. डीएस गंगवार ने सभी जिलों के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) को चार जुलाई तक अपने जिले में शिक्षकों के रिक्त पदों की संख्या नियोजन इकाईवार लाने को कहा है. जिलों को पंचायत, प्रखंड और नगर शिक्षकों की रिक्ति पदों का ब्योरा नियोजन इकाईवार देना होगा.
और अधिक सूचना मिलने पर हम प्रकाशित करेंगे….

बिहार की बेटी किरण के इस काम के लिए राज्य ही नही पूरा देश कर रहा है सलाम

बिहार की बेटी किरण ऐसा काम की है की राज्य ही नही बल्कि पुरे देश के लोग इसे शाबासी दे रहे हैं।
आम दुल्हन अपनी साज-सज्जा, वेश-भूषा और भावी पति की कल्पना में खोयी रहती है. लेकिन ये इस दिन अपने गाँव और पर्यावरण की बेहतरी के लिए अपनी शादी के दिन यानि सात जुलाई को हाथ में फावड़ा-कुदाल लिए निकल पड़ेगी और गाँव के सड़क व नदी के किनारे खाली पड़े जगहों को पौधों व हरिहाली से पाट देगी.किरण अपने शादी के दिन भी हाथों में मेहंदी की जगह वह अपने गाँव को हरा भरा बनाकर ससुराल जाना चाहती है. हमारे यहाँ तो शादी के कुछ दिन पहले से महिलाओ को घर से निकलने की ज्यादा इजाजत नहीं होती है लेकिन किरण ने बिहार ही नहीं पुरे देश में एक मिशाल कायम करना चाहती है.



दोपहर से पहले सात सौ पौधे लगाकर ही वह वापस अपने बाबुल के घर लौटकर दुल्हन बनेगी. अपने गाँव को हरा-भरा करने के बाद अपने इंजिनियर पति से शादी रचा फिर बाबुल के गाँव को अलविदा कहेगी. यह नेक ईरादा है तुरकौलिया प्रखंड के मझार गाँव निवासी जितेन्द्र सिंह की बड़ी सुपुत्री किरण का.
नाते-रिश्तेदार के अलावा वन विभाग व स्वास्थ्य महकमा के अधिकारी भी बनेंगे. इस कवायद के पीछे किरण की यह सोंच है कि पर्यावरण के प्रति पूरे गांव-समाज व नाते रिश्तेदारों को जागरूक बनाया जाए. इसके लिए उसने वन विभाग को आवेदन देकर पौधा उपलब्ध कराने का आग्रह किया है. जिसे स्वीकृत करते हुए विभाग ने शादी के दो दिन पहले ही पिपराकोठी स्थित नर्सरी से पौधे उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है.



आइआइएमसी से मासकॉम कर देश के कई मिडिया संस्थानों में काम कर चुकी किरण वर्तमान में बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति की मीडिया कॉर्डिनेटर है. किरण का मनना है कि इन पौधों ने उन्हें बहुत कुछ दिया है. राष्ट्रिय स्तर की ख्याति के आलावा इन पौधों की वजह से ही उसे राष्ट्रपति पुरस्कार सहित कई सम्मान मिले है. ऐसे में नईहर छूटने से पहले इन पौधों व अपने गाँव के प्रति कृतज्ञता भी प्रकट करना चाहती है.
दरअसल किरण का बचपन से ही पेड़-पौधों व पर्यावरण से खासा लगाव रहा है. उनके मित्र व युवा समाजसेवी विनय कुमार उपाध्याय बताते हैं कि हाईस्कूल में पढाई के दरम्यान ही किरण तेजी से सूख रहे शीशम के पेड़ को बचाने के लिए दवा का ईजाद कर चुकी है. इस दवा से उसने पहले अपने गांव व बाद में इलाके में हजारों शीशम के पेड़ को सूखने से बचाया है. इस उपलब्धि पर वर्ष 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम व राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक डॉ. (प्रो.) यशपाल ने सिक्किम में उसे सम्मानित किया था. वर्ष 2007 में बिहार के तत्कालीन राज्यपाल डॉ. बूटा सिंह ने भी बिहार विज्ञान कांग्रेस में किरण को पुरस्कार से नवाजा था. वर्ष 2011 में अभिनेता अभिषेक बच्चन ने दिल्ली के एक कार्यक्रम में नेशनल अवार्ड देकर चंपारण एवं बिहार की इस होनहार बेटी को सम्मानित किया था.

किरण ने बताया कि उसकी शादी मिजोरम के एनआईटी में सहायक प्रोफेसर के पद पर कार्यरत रमेश कुमार से हो रही है. उनका पूरा परिवार फ़िलहाल पटना में रहता है. वह भी पटना में ही स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत है. लिहाजा फिलहाल वह ससुराल पटना में ही रहेगी.

बहरहाल किरण का यह प्रयास इलाके में चर्चा विषय बना हुआ है व उसके इस प्रयास की इलाके में खासी सराहना हो रही है.अपने पिया के गांव जाने की तैयारी के बीच पर्यावरण को बचाने के लिए दुल्हन बनने जा रही किरण ने जो फैसला लिया है,उससे सरकार,समाज और गैर सरकारी संगठनों को सीख लेने की जरुरत है.

हिंदी बोलने पर मजाक उड़ाया तो इस बिहारी ने लिख डाली 10 अंग्रेजी नॉबेल


बिहार के नक्सल प्रभावित गया के मल्हारी में है सत्यपाल चंद्रा का घर जहां अभी उनके किसान माता-पिता रहते हैं. गरीबी, अपराध प्रभावित इस छोटे से गाँव से निकलकर चंद्रा ने वो काम किया है जो बिहार के युवाओं के लिए आदर्श है.

बिहार के बाहर अक्सर देखा जाता है की भाषा के नाम पर बिहार के लोगों को मजाक बनाया जाता है. कुछ ऐसा ही घटना सत्यपाल चन्द्रा के साथ घटी जिससे उन्हें गहरी चोट पहुंची और फिर दिखा दिया की भाषा का ज्ञान कोई बड़ी बात नही है। 
2011 में सत्यपाल ने 24 साल की उम्र में अपनी पहली नॉवेल लिखी थी ‘The Most Eligible Bachelor’. आतंकवाद, प्यार और युवाओं पर आधारित यह पहली नॉवेल ही ‘बेस्टसेलिंग’ बन गई. उसके बाद उन्होंने एक पर एक 9 किताबें लिख डाली. 2012 में उन्होंने 6 नॉवेल लिखी. सत्या अपनी किताबों में धर्म, साम्प्रदायिकता, आतंकवाद, युवा सोच, क्राइम, ड्रामा के साथ ही प्यार और रोमांस का बेहतरीन तालमेल करते है. हाल में ही उनकी 10वीं नॉवेल ‘When Heaven Falls Down’ रिलीज़ हुई है. सत्या ने अपनी स्कूली पढाई झारखण्ड से करने के बाद गया के अनुग्रह नारायण कॉलेज से इंटर किया. इसके बाद वो हर बिहारी की तरह IAS बनने की तमन्ना लिए दिल्ली चले गए जहां उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया. उन्होंने दिल्ली में एक प्रतिष्ठित कंपनी में नौकरी भी की लेकिन उनका मन कहीं न कहीं लिखने की ओर था. हिंदी माध्यम से अपनी पढ़ाई करने वाले सत्या ने एक न्यूज़पेपर से बात करते हुए बताया कि एक बार जब वो दिल्ली में किसी रेस्टोरेंट में बैठे थे तो वहाँ के वेटर ने हिंदी में आर्डर देने वालों का मजाक उड़ाया. तभी उन्होंने ठान लिया कि उन्हें भी इंग्लिश जाननी चाहिए और फिर उन्होंने 6 महीने मेहनत करके ये भाषा सीखी. बिहार के अंदरूनी और बेहद पिछड़े इलाके से आने वाले चंद्रा ने करप्शन, जातिवाद, अपराध के साथ साथ बेरोजगारी और गरीबी को भी काफी नजदीक से देखा है. यही वजह है कि उनकी किताबों में युवा सोच, सपनों और रोमांस के साथ साथ देश-समाज के ये घिनौने सच भी साथ साथ चलते हैं. पढ़ें: बिहार के इस लड़के ने बनायी दुनिया की पहली ‘स्मार्ट-वाच’ कंपनी सत्या की नई नॉवेल ‘When Heaven Falls Down’ साम्प्रदायिकता, लव जिहाद, मेडिकल प्रोफेशन में करप्शन जैसे मुद्दों पर लिखी गयी है. इस किताब के एक भाग पर आपत्ति जताते हुए मुस्लिम संगठनों ने उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी. गया में उनके घर पर पत्थर फेंके गए और जगह जगह धमकी भरे पोस्टर लगाए गए. इन सबसे बेपरवाह सत्यपाल कहते हैं कि, ‘बिहार अभी तक बदला नहीं है. अपराध, करप्शन के साथ लोगों की मानसिकता, सब अपनी जगह वहीँ हैं.’ मानवता को ही अपना धर्म मानने वाले सत्या सभी धर्मों का आदर करते हैं. कई मानवाधिकार संगठनों के सदस्य और एक मोटीवेशनल स्पीकर के रूप में जाने जानेवाले चंद्रा राइटिंग के साथ अब फिल्मों में भी गाने और स्क्रिप्ट लिखने जा रहे हैं. उन्होंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर xplorationworld नाम की कंपनी बनायीं है जो विभिन्न क्षेत्रों में काम करती है. सभी जाति, धर्म में शांति के साथ सहयोग की भावना होने की अपेक्षा रखने वाले चंद्रा हिंदी और अंग्रेजी के अलावा उर्दू और संस्कृत विषयों में भी गहरी रूचि रखते हैं. 
क्लिक कर पढ़े:

Sunday, July 3, 2016

सुपर-30 के संस्थापक आनंद कुमार को आया हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में भाषण देने का बुलावा

बिहार शुरू से ही ज्ञान का खान रहा है ये हम नही बल्कि इतिहास से लेकर वर्तमान बोलता है, प्रतिभा का धनी यज राज्य ने देश ही नही बल्कि दुनिया को ढेरों विद्वान दिए।
अब बिहार के ही लाल 2002 से लगातार गरीब बच्चों को आईआईटी में भेजकर बुलन्दियों पर है उस आनंद कुमार को हार्वर्ड ने अपने यहां लेक्चर के लिए बुलाया है. उन्हें edX नाम की ऑनलाइन पोर्टल ने बुलावा भेजा है. edX हारवर्ड और MIT जैसे संस्थानों की ओर से किया जाने वाला प्रयास है. इस प्रयास के तहत वे वंचित तबके को मैथ्स पढ़ाते हैं.


सुपर 30 के संस्थापक हैं आनंद कुमार...
गौरतलब है कि आनंद कुमार ने साल 2002 में सुपर 30 प्रोग्राम की शुरुआत पटना में की थी. वे इस प्रोग्राम के तहत कमजोर आर्थिकी वाले प्रतिभाशाली स्टूडेंट्स को IIT एंट्रेंस के लिए पढ़ाते हैं. वे इसमें ऐसे 30 स्टूडेंट्स को सेलेक्ट कर पढ़ाते हैं.
अब जब कि edX ऐसे कई कोर्सेस बिना किसी फीस के चलाता है और MIT के प्रोफेसर अनन्त अग्रवाल ने इसके बाबत आनंद कुमार को पत्र भी लिखा है कि सुपर 30 और  edX कमोबेस एक जैसे मिशन पर काम कर रहे हैं. इस साझा कार्यक्रम से वे दुनिया के और भी जरूरतमंद स्टूडेंट्स की मदद कर सकेंगे. 

आनंद कुमार नहीं जा सके थे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय...
इन सारी खबरों के बीच हम आपको एक दिलचस्प किस्सा सुनाते चलें कि आज दुनिया भर के स्टूडेंट्स को मैथ्स पढ़ाने वाले आनंद कुमार कभी कमजोर आर्थिकी की वजह से कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय नहीं जा सके थे. आनंद कहते हैं कि आज इन तमाम संस्थानों द्वारा सुपर 30 जैसे कार्यक्रमों को अपने सिस्टम का हिस्सा बनते देखना सुखद है. वे इस ऑफर पर सीरियसली विचार कर रहे हैं. वे देखना चाहते हैं कि आखिर इन साझा कार्यक्रमों से कितने स्टूडेंट्स लाभान्वित होते हैं.

बिहार के छपरा की रिया है इस वर्ष आईआईटी में लड़कियों में टॉपर

बिहार जिसने दुनियां को न जाने कितना विद्वान दिए, आज यही की बेटी, रिया सिंह, जिन्होंने कोटा में पढ़ाई करा था लड़कियों में टॉप किया है
बिहार का नाम फिर से रौशन हुआ और इस  वजह बनी है, छपरा की बेटी रिया सिंह। कोटा में IIT की परीक्षा की तैयारी कर रही रिया सिंह ने लड़कियों में इस परीक्षा को टॉप कर लिया है। इनका लड़कियों में स्थान नंबर 1 पर आया है और वैसे 133व पोजीशन इनको हासिल हुआ है। बीते वर्ष इनको भाई ने भी ये परीक्षा पास करते हुए 233 व  रैंक लाया था। बिहार और छपरा को इन पर गर्व है।



रिया सिंह के ननिहाल छपरा में है और यहाँ उन्होंने खासा वक़्त बिताया है। माता शोभा सिंह इनकी सफलता के लिए इनके साथ  कोटा में ही 2 सालो से रह रही थी।रिया अपनी सफलता का बड़ा श्रेय अपनी माँ को देती है।

जेईई एडवांस्ड 2016 परीक्षा आईआईटी गुवाहाटी ने ज्वॉइंट एडमिशन बोर्ड के साथ मिलकर आयोजित की थी। रिजल्ट घोषित होने के बाद सफल उम्मीदवारों की ऑल इंडिया रैंक भी घोषित कर दी जाएंगी। परीक्षा आयोजित करने वाली आईआईटी गुवाहाटी ने कहा है कि जेईई एडवांस 2016 परीक्षा में प्राप्त की गई रैंक आईआईटी या आईएसएम में दाखिले की गारंटी नहीं देती। उसका कहना है कि रैंक लिस्ट जेईई एडवांस 2016 में एग्रीगेट मार्क्स के आधार पर तैयार की गई है।

जेईई एडवांस्ड के जरिए ही छात्रों को देश की तमाम आईआईटी और आईएसएम (इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स, धनबाद) के इंजीनियरिंग कोर्सेज में प्रवेश मिलेगा। इसके अलावा आईआईएसईआर, राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम टेक्नोलॉजी और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में भी आईआईटी एडवांस्ड के स्कोर से ही दाखिला मिलता है।

आईआईटी गुवाहाटी ने इस परीक्षा की आंसर-की 5 जून को आधिकारिक वेबसाइट पर जारी कर दी थी।

आपको बता दें कि प्रतिष्ठित आईआईटी में प्रवेश पाने के लिए तकरीबन दो लाख छात्रों ने 22 मई, 2016 को जेईई एडवांस्ड परीक्षा दी थी। जेईई एडवांस की परीक्षा दो चरणों (पेपर नं- 1 और पेपर नं- 2) में आयोजित हुई थी। पहले चरण की परीक्षा सुबह नौ से 12 बजे और दूसरी दोपहर दो से पांच बजे तक चली।

Saturday, July 2, 2016

बिहार के लाल द्वारा बनाया गया तेजस विमान वायु सेना में

पटना आखिर वह खुशी का क्षण आ ही गया, जब बिहार के लाल द्वारा निर्मित लड़ाकू एवं देश में निर्मित विमान तेजश को वायु सेना में शामिल कर लिया गया। आपको बताते चले कि तेजस लड़ाकू विमान का निर्माण दरभंगा के घनश्यामपुर प्रखंड के बाउर गांव निवासी एवं प्रसिद्ध वैज्ञानिक डा. मानस बिहारी वर्मा के नेतृत्व में बनाया गया था। आज जब विधिवत इस विमान को एयर फोर्स में शामिल किया गया तो एक बार फिर बिहार का सर गर्व से उंचा हो गया। जानकारी हो की भारत के राष्ट्रपति रह चुके स्व. डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के साथ काम कर चुके डा. मानस बिहारी वर्मा दोनों अच्छे मित्र थे, और डॉ एपीजे अब्दुल कलाम अपने बिहार दौरा के दौरान कई बार उनसे मिलने भी आये थे।

क्या है तेजस?
– लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) प्रोग्राम को मैनेज करने के लिए 1984 में एलडीए (एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी) बनाई गई थी।
– एलसीए ने पहली उड़ान 4 जनवरी 2001 को भरी थी।
– अब तक यह कुल 3184 बार उड़ान भर चुका है।
– तेजस 50 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है।
– तेजस के विंग्स 8.20 मीटर चौड़े हैं। इसकी लंबाई 13.20 मीटर और ऊंचाई 4.40 मीटर है। वजन 6560 किलोग्राम है।
-देश में बना पहला लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट है तेजस।
-सर्फ 2 प्लेन के साथ एयरफोर्स इसे अपने बेड़े में शामिल कर चुकी है।
-सफलतापूर्वक तेजस का किया जा चुका है टेस्ट, एयर मार्शल जसबीर वालिया और हिंदुस्तान एयरोनॉटिकल लिमिटेड (एचएएल) के ऑफिसर्स की देख-रेख में पूर्ण हुआ टेस्ट।
-तेजस की पहली स्क्वाड्रन को 2 साल तक बेंगलुरू में ही रखा जाएगा।
-तमिलनाडु के सलूर में इसके बाद इसे शिफ्ट किया जाएगा।

12 वर्ष के उम्र में दुनिया का सबसे कठिन परीक्षा IIT पास करने वाला बिहार का सत्यम बना फ़्रांस के छात्रों के लिए नजीर

मात्र 12 साल की उम्र में दुनिया का सबसे कठिन परीक्षा माना जाने वाला IIT JEE को क्रैक कर पूरी दुनिया में तहलका मचा देने वाला बिहार का सत्यम आज फ्रांस में इंजीनियरिंग के छात्रों के लिए नजीर बन गया है।

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बारह वर्ष की नन्ही सी उम्र में आइआइटी के ऊंचे किले को फतह करने वाला सत्यम आज फ्रांस में इंजीनियरिंग के छात्रों के लिए नजीर बन गया है। सत्यम अपनी मेधा के कायल फ्रांसिसी छात्रों को भारतीय शिक्षा पद्धति का गुण सीखा रहा है। भोजपुर जिले के बड़हरा प्रखंड के बखोरापुर निवासी रामलाल सिंह का पोता सत्यम कुमार (16) आज से चार साल पहले भारत में खूब नाम कमाया था। जब महज बारह वर्ष की उम्र में आइआइटी की प्रतियोगिता में बुलंदी का झड़ा गाड़ा था। फिलहाल सत्यम आइआइटी कानपुर में इलेक्ट्रिकल ब्राच का छात्र है।
इसी बीच फ्रांस में समर रिसर्च इन्टर्न के अवसर पर ‘ब्रेन कम्प्यूटर इन्टरफेसेज’ विषय पर रिसर्च के लिए सत्यम का चयन कर लिया गया। उसका चयन फ्रांस के चार्पैक स्कॉलरशीप तथा भारत सरकार में ‘ए सर्विस ऑफ दी एम्बेसी’ के संयुक्त तत्वावधान में ‘टू प्रमोट हाईयर एजुकेशन इन फ्रांस’ के लिए क

Friday, July 1, 2016

पंखो से नही हौसलों से उड़ान भरी जाती है, जानिए बिहार की बेटी भावना कंठ की खासियत

कहा गया है आसमां में उड़ान भरने के लिए जरूरी नही आपके पास पंख हो, अगर कुछ कर गुजरने की हौसला हो तो सब कुछ आसान है यंहा।
मां-पापा की प्यारी, दोस्तों की दुलारी, देश की लड़कियों के लिए सपनों की उड़ान देने वाली भावना कंठ अब किसी पहचान की मुंहताज नहीं। आत्मविश्वास से लबरेज, आखों में चमक, दुश्मनो के दांत खट्टे करने का हौसला और चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान, कुछ एेसी ही हैं भारत की पहली महिला जेट फाइटर प्लेन उड़ाने वाली पायलट, भावना कंठ।

भावना को अपने देश के लिए कुछ कर गुजरने की तमन्ना बचपन से ही थी। बचपन से ही पायलट बनने का ख्वाब संजोने वाली भावना को माता-पिता का पूरा सहयोग मिला, जो भी करना चाहती थीं उसमें उन्होंने पूरा साथ दिया। पहली महिला पायलट बनने की खुशी जहां भावना को है तो उनसे ज्यादा खुश उनके माता-पिता हैं। हों भी क्यों ना? अाखिर बेटी ने वो कर दिखाया जो वह चाहती थी।


भावना के बारे में बताते हुए उन्हें गर्व महसूस हो रहा था, भावना की मां के मुताबिक वो कभी नहीं सोचती थी कि वो लड़की है ये काम नहीं कर सकती? अपने माता पिता पर गर्व करने वाली भावना हमेशा उनसे कहती हैं कि मैं कितनी खुशनसीब हूं कि मेरे इतने अच्छे माता-पिता हैं, जिन्होंने बचपन से मेरा हौसला बढाया, हमेशा मेरी इच्छाओं का सम्मान किया।

भावना की मां की चमक उनकी आंखों में साफ दिखी, उन्होंने बताया कि- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात में भावना कंठ सहित तीनों महिला जेट पायलटों को अपनी बधाई दी तो हम सब रेडियो में उनका बधाई संदेश सुन रहे थे। उन्होने अपने बधाई संदेश मे कहा है कि # हम सब गर्व करें, ऐसी एक और महत्वपूर्ण बात- 18 जून को भारतीय वायु सेना में पहली बार महिला लड़ाकू पायलट की पहली बैच आई। गर्व होता है कि तीनों फ्लाइंग ऑफिसर अवनि चतुर्वेदी, भावना कंठ, मोहना, जिन्होंने हमें गौरव दिलाया है।

# अवनि मध्य प्रदेश के रीवा से हैं, भावना बिहार से हैं और मोहना गुजरात के बड़ोदरा से हैं। ये छोटे शहरों से होने के बावजूद भी इन्होंने आसमान जैसे ऊंचे सपने देखे और उसे पूरा करके दिखाया।

भावना के घर का माहौल ऐसा था कि कभी ये नहीं समझा गया कि भावना एक लड़की है और किसी भी बात में कम हूं। भावना के मम्मी-पापा ने हमेशा उनका सपोर्ट किया। आज वे जो भी हैं उसका श्रेय अपने माता-पिता को देती हैं।

लड़का हो या लड़की किसी भी सपने को पूरा करने के लिए फैमिली का सपोर्ट होना बहुत जरूरी है। साथ ही अच्छे दोस्त भी जरूरी हैं। भावना की मित्र मंडली भी एेसी ही है जो हमेशा उनका हौसला बढाया करती थी। आज वे सब बहुत खुश है कि उनकी दोस्त अब जेट फाइटर उड़ाएगी। छोटे भाई बहन, सगे-संबंधी भावना सबकी फेवरिट रही हैं। सभी भावना से बहुत प्यार करते हैं, सबको भावना के बारे में जानकर बहुत खुशी हुई।

भावना के साथ ही और दो लड़कियों ने यह गौरव हासिल किया है। इनकी ट्रेनिंग काफी कठिन थी लेकिन ट्रेनिंग को भी इन तीनों ने खूब इंज्वॉय किया। अब इन सबके कठिन परिश्रम के बाद इनकी सपना पूरा होने वाला है अब आसमां इनसे दूर नहीं और जल्द ही ये आसमां की उंचाई मापने निकल पड़ेंगी ।

आज की पीढी के लिए भावना कंठ एक उदाहरण है कि मुश्किल कुछ नहीं होता, सपने बड़े देखने चाहिए, कभी खुद को कमजोर नहीं समझना चाहिए। लड़कियां कुछ भी कर सकती हैं, जरूरी है उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने की, उन्हें सपोर्ट करने की।

वो चाहे जिंदही का सफर हो, चाहे हो जंग का मैदान

मुहाज कोई भी हो, हौसला जरूरी है……

20 साल के इस बिहारी लड़के से ओबामा भी मिलना चाहते हैं

बिहार में ऐसे-ऐसे ज्ञानी बच्चे मिलेंगे की आप देखकर आश्चर्य में पड़ जायेंगे।
बिहार के गया जिले के सिद्धांत वत्स को आप शायद न जानते हों, लेकिन दुनिया भर की टेक कंपनियां उन्हें जानती हैं. 20 साल के सिद्धांत को अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा मिलने बुला चुके हैं और अपने देश के पीएम ऑफिस से भी उन्हें ‘बेस्ट युवा उद्यमी’ का अवार्ड मिल चूका है.




20 वर्ष का सिद्धांत वत्स ने दुनिया की पहली ‘स्मार्ट-वाच’ कंपनी ‘एंड्रायडली सिस्टम्स’ बनायी है जो एंड्रायड पर चलने वाली घड़ियाँ बनाती है. उन्होंने ही अपने दो और दोस्तों के साथ मिलकर दुनिया की पहली स्मार्ट वाच ‘एंड्रायडली’ बनायी थी. इन घड़ियों से आप समय देखने के अलावा फोन कॉल कर सकते हैं, इन्टरनेट का इस्तेमाल कर सकते हैं, गाने सुन सकते हैं, व्हाट्सएप्प चला सकते हैं.


12 साल की उम्र में सिद्धात अपने से छोटे बच्चों को कंप्यूटर की बेसिक शिक्षा देने लगे थे. बाद में उन्होंने अपनी माँ द्वारा चलाये जा रहे एनजीओ ‘फलक फाउंडेशन’ के लिए काम किया. शिक्षा, हेल्थ और सामाजिक कार्यों से जुडी इस संस्था के लिए उन्होंने ब्लड डोनेशन कैंप चलाये और कमजोर वर्ग के लोगों के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं भी उपलब्ध करवाई.

अपने सपने को पूरा करने के लिए हाई स्कूल की पढाई तक छोड़ देने वाले सिद्धांत का मानना है कि लोगों, खासकर युवाओं को अपने सपनों के लिए ही जीना चाहिए. उनके अनुसार युवाओं के सपने पुरे न होने में सबसे जिम्मेदार परिवार और समाज के वो लोग हैं जो आपको नकारात्मक सलाह देते हैं.

दुनिया की बड़ी से बड़ी कंपनियों के कांफ्रेंस में अपनी स्पीच दे चुके सिद्धांत हमेशा अपने दिल की करते हैं और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक ऐसा प्लेटफार्म बनाना चाहते हैं जहाँ दुनियाभर के लोग अपनी सफलता की कहानियाँ एक दुसरे के साथ शेयर करें. लोगों की इन कहानियों को देख, सुन, समझ कर स्कूल और कॉलेज के बच्चों को बहुत फायदा होगा, ऐसा उनका मानना है.

बीसीसीआई से तेजस्वी ने पूछा-बिहार के लोग कब तक टीवी पर मैच देखेंगे

उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने एक बार फिर बिहार में क्रिकेट की बदहाली के लिए बीसीसीआई पर जमकर निशाना साधा है। तेजस्वी ने पूछा कि बीसीसीआई ये बताए कि बिहार के लोग कब तक टीवी पर क्रिकेट का मैच देखेंगे।

तेजस्वी ने बीसीसीआई पर आरोप लगाते हुए कहा कि बिहार के खेल संघ के लोग लगातार बीसीसीआई के अधिकारियों से संपर्क में हैं लेकिन सही रूप से उनका सपोर्ट नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने खेल की वर्तमान स्थिति को लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि बीसीसीआई की तरफ से सहयोग नहीं मिलने के कारण ही बिहार में क्रिकेट जैसे गेम की स्थिति में सुधार नहीं हो सका है।

उन्होने कहा कि बिहार में खेल और खिलाड़ियों को जल्द ही बेहतर मौका मिलेगा इसके लिए सरकार और खेल विभाग के अधिकारी बेहतरी को लगातार भरपूर प्रयास कर रहे हैं। पटना में एक खेल प्रतियोगिता के उदघाटन में पहुंचे डिप्टी सीएम ने कहा कि खिलाड़ियों को मौका मिले और अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप हो ये मेरे एजेंडे में शामिल है।


बिहार के लोग लाइव मैच देख सकें इसके लिए तेजस्वी ने कहा कि बीसीसीआई से एमओयू बनाने का काम जल्द किया जाएगा इसके लिए सरकार का प्रयास जारी है। उन्होने कहा कि नालंदा के स्टेडियम निर्माण के साथ पटना का मोईनुल हक स्टे़डियम भी इंटरनेशनल स्टेडियम बने ये मेरा प्रयास है। उन्होने कहा कि अगर बीसीसीआई से सही सहयोग मिले तो मोईनुल हक स्टेडियम में भी फ्लड लाइट लगाया जाएगा।

तेजस्वी की नई पहल : फ़ोटो खीच व्हाट्स एप पर डालिए, बन जायेगी सड़क

पटना। बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव सोशल मीडिया खूब एक्टिव रहते हैं। सड़क संबंधित समस्याओं के निवारण के लिए उन्होंने एक नया प्रयोग शुरू किया है। सड़क की समस्या को लेकर तेजस्वी यादव ने एक व्हाट्सएप नंबर जारी किया है।


अगर आपकी सड़क खराब है तो एक फोटो खींचिए और व्हाट्सएप नंबर पर भेज दीजिए। उसके  बाद आपकी सड़क ठीक हो जाएगी। बिहार सरकार के  पथ निर्माण विभाग ने इस नई व्यस्था को लागू कर दिया है। जिसके तहत बिहार  में Oprmc के तहत आने वाली सड़कों के रख रखाव को लेकर पथ निर्माण विभाग ने टोल फ्री नंबर के बाद व्हाट्सअप नंबर जारी किया। व्हाट्सएप नंबर 9470001346 पर जुड़ बदहाल सड़कों की तस्वीर भेज सड़कों की स्थिति की जानकारी दे सकेंगे। जिसके बाद शिकायत दर्ज़ कर विभाग इसपर संज्ञान लेगी।

वहीं, शिकायत के बाद भी अगर अधिकारी सड़क की समस्या को दूर नहीं करेंगे तो उनपर भी जवाबदेही तय करते हुए करवाई की जायेगी।

तेजस्वी यादव ने बताया कि पहले लोग जब सड़की शिकायत करते थे तो इंजीनियरों को बताया जाता था। और उनके रिपोर्ट को मान लिया जाता था। कई बार ऐसा होता था कि सड़क ठीक नहीं है। अब विभाग के पास सड़क की फोटो उपलब्ध होगी तो उसे ठीक करवाने में आसानी होगी।

वहीं, तेजस्वी यादव ने यह भी कहा कि बिहार में भूमि अधिग्रहण की समस्या को दूर करने के लिये एक स्पेशल कमिटी बनाई गई है। जिसमें बिहार प्रसाशनिक सेवा के 5 रिटायर्ड अधिकारी को शामिल किया गया है। उपमुख्यमंत्री ने बताया की भूमि अधिग्रहण की समस्या को दूर करने के लिए ये कमिटी बनाई गई है ताकि पुल और सड़को के निर्माण में जमीन की समस्या को दूर किया जायेगा।

बिहार के राज्यकर्मियों के लिए खुशखबरी, मिलेगा ये तोहफा

केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को 7वां वेतन आयोग की सिफारिशें काफी हद तक लागू कर दी हैं. इसके बाद अब राज्य सरकारों पर भी इसे लागु करने का दबाव है. बिहार के वित्त विभाग ने भी राज्य के कर्मचारियों को 7वां वेतन आयोग देने के लिए जल्द ही ‘फिटमैन कमेटी’ का गठन करने जा रही है जो केंद्र के तरफ से जारी अधिसूचना और 7वें वेतन आयोग की तमाम अनुशंसाओं का विश्लेषण करेगी. जिसके बाद बिहार में भी लागु हों सकता है 7वां वेतन आयोग.


वित्त विभाग के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार इसमें करीब छह से सात महीने में 7वें का वक्त लग जायेगा.
7वें वेतन आयोग की अनुशंसा के बाद राज्य सरकार के कर्मचारियों के वेतन में भी 23.6 फीसदी तक की बढ़ोतरी होगी. मूल वेतनमान में 14.27 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी, जबकि मूल वेतन और अन्य तमाम भत्तों को मिलाकर यह बढ़ोतरी करीब साढ़े 23 प्रतिशत के आसपास होगी.
इसके लागु होने से औसतन वेतन में छह से आठ हजार रुपये प्रति महीने की बढ़ोतरी होगी. इस बढ़ोतरी का लाभ उन नियोजित शिक्षकों को भी मिलेगा, जिन्हें सरकार ने वेतनमान दे दिया है. राज्य में नियमित वेतनमान वाले सभी श्रेणी के सरकारी कर्मचारियों की संख्या करीब 3.50 लाख है वहीं राज्य में पेंशन पाने वाले कर्मचारियों की संख्या करीब 4.25 लाख है.